PARAGRAPH ON PARALYMPIC GAMES IN HINDI FOR CLASS 6TH
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ज़िन्दगी के हर कदम पर हमें परेशानियों का सामना करना पड़ता है, बिना परेशानी के ज़िन्दगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती| लेकिन परेशानी छोटी हो या बड़ी इंसान को अपने हौसले बुलंद रखने होते है|
मनौवैज्ञानिकों के अनुसार अपनी कठिनाईयो को इंसान दो नज़रिये से देखता है –
या तो वो समस्या पर फोकस करता है या
समस्या के हल पर
Solution पर फोकस करने वाले कठिनाइयों का डट कर सामना करते हैं| ऐसे ही कुछ दृढ निश्चयी और साहसी विजेताओं की कहानियां (Hindi Stories) आज हम HAPPYHINDI.COM पर share कर रहे हैं| ये कहानियां है, उन पैरा ओलंपिक विजेताओ की जिन्होंने अपने जीवन की परेशानियों को अपनी जीत की वजह बनाई और विश्व भर के प्रतियोगियों को परास्त कर ओलिंपिक में देश का ना रोशन किया:
Indian Paralympic Champions (Hindi)
देवेंद्र झाझरिया – Devendra Jhajharia
paralympic champian devendra jhanjharia
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आठ वर्ष की उम्र में 11000 वाल्ट के तेज करंट के कारण उनका हाथ काट गया| लेकिन कमजोर न कहलाने की ज़िद ने उन्हें चैम्पियन बना दिया| उन्होंने 2004 पैराओलिंपिक और 2016 रियो पैरा ओलंपिक में Javelin Throw में गोल्ड मैडल जीत कर भारत का नाम रोशन किया| आज कोई वर्ल्ड रिकॉर्ड ऐसा नहीं, जो उनके नाम न हो|
दीपा मलिक – Deepa Malik
45 वर्षीय दीपा मालिक, पैरा ओलंपिक में मेडल लाने वाली भारतीय इतिहास की प्रथम महिला है| वे रियो में Shotput प्रतियोगिता में सिल्वर मैडल की विजेता रही| 1999 में रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर की वजह से व्हील चेयर उनकी जरुरत बन गई| लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी| उन्होंने 36 वर्ष की उम्र में तैराक, बाइकर और एथलीट बनने की ठानी| हिमालय की सड़कों पर हजारों किलोमीटर की बाइक यात्रा की और कई रिकॉर्ड बनाए| दीपा मलिक ने अपने जीवन की हर कठिनाई को अपनी ताकत बना लिया| Javelin Throws, Shot put और Swimming में उन्होंने विभिन्न नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में 60 अधिक मैडल जीते है|
सुयश जाधव – Suyash Jadhav
22 वर्षीय सुयश जाधव तैराकी में फाइनल राउंड तक पहुचे| छह वर्ष की उम्र में बिजली के करंट के कारण उन्हें अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े| लेकिन सालो के अभ्यास और लगन से उन्होंने अपनी कमज़ोरी को हरा दिया और 2016 पैरा ओलंपिक में A-Mark प्राप्त करने वाले पहले भारतीय तैराक बने|
अंकुर धर्मा – Ankur Dhama
अंकुर रियो पैरा ओलंपिक में जाने वाले प्रथम भारतीय नेत्रहीन एथलीट है| उतरप्रदेश के छोटे से गाँव में जन्में अंकुर की चार वर्ष की उम्र में ही उनकी आँखों की रौशनी कम होने लगी थी| पूरी तरह से आँखों की रौशनी चले जाने के बावज़ूद दिल्ली में उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की| उन्होंने पैरा-चैम्पियन प्रतियोगिताओं में देश के लिए कई मेडल जीते हैं|
नरेंद्र रणबीर – Narender Ranbir
सोनीपत, हरियाणा के नरेंद्र ने 3 वर्ष की उम्र में एक एक्सीडेंट में अपने माता-पिता को खो दिया और खेती करके उनकी दादी ने उन्हें पाला! 2010 में एशियाई गेम्स में वो रनर थे, लेकिन पीठ और पैर की समस्याओ के कारण, रियो पैरा-ओलंपिक में भाला-फेंक में भारत का प्रतिनिधित्व किया|
रामपाल चाहर – Rampal Chahar
26 वर्षीय रामपाल सोनीपत के पास छोटे से गांव से है| दुर्भाग्यवश 4 वर्ष की उम्र में ही उनका दांया हाथ खेती में काम ली जाने वाली मशीन से कट गया था, लेकिन उन्होंने कभी अपना जूनून नहीं छोड़ा| उन्होंने हाई-जम्प की कई नेशनल और इंटेरनेशनल प्रतियोगितायों में हिस्सा लिया| इंटरनेशनल टूर्नामेंट IPC grand pix जो Tunisia में हुआ, उसमें रामपाल ने गोल्ड जीतकर भारत को गौरवान्वित किया था| उन्होंने रियो पैरा-ओलिंपिक में हाई जम्प में Grade A के साथ भारत का प्रतिनिधित्व किया
अमित कुमार सरोहा – Amit Kumar Saroha
31 वर्षीय अमित के पास पैरा एशियन गेम्स से 1 गोल्ड मैडल और 2 सिल्वर मैडल उनकी मुट्ठी में है! 22 वर्ष की उम्र में एक एक्सीडेंट की वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण उन्हें व्हील चेयर का सहारा लेना पड़ा, लेकिन पूर्व जूनियर नेशनल हॉकी प्लेयर रहे अमित ने हिम्मत दिखाई और पैरा स्पोर्ट्स में discus एंड club थ्रो में भाग लेकर मैडल जीतना शुरू किया और वे अर्जुन अवार्ड के भी विनर बने| पैरा ओलंपिक्स में डिस्कस थ्रो में वे सांतवे स्थान पे रहे|
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A Kumar: ए. कुमार राजस्थान से हैं और वे सामान्य तौर पर बिज़नेस, टेक्नोलॉजी, वित्त और मोटिवेशनल स्टोरी के बारे में लिखते हैं| उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता हैं|
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chandan singh says:October 7, 2016 at 12:24 pm
mujhe pasnd aya
roja says:January 12, 2017 at 7:36 pm
Jai hind to India and salute to these people please. Help them to success in life
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