Hindi, asked by starmiki2124, 10 months ago

Paragraph on paryavaran pradusan in hindi

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Answered by sourya1794
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Explanation:

भूमिका : प्रदूषण आज के समय का एक सबसे बड़ा मुद्दा है जिसके बारे में सभी को पता होता है। पर्यावरण प्रदूषण हमारे जीवन की सबसे बड़ी समस्या है। प्रदूषण की वजह से हमारा पर्यावरण बहुत अधिक प्रभावित हो रहा है। प्रदूषण चाहे किसी भी तरह का हो लेकिन वह हमारे और हमारे पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक होता है।

प्रदूषण से पृथ्वी दूषित होती है और उसका संतुलन भी बिगड़ जाता है। हम लोग एक प्रदूषित दुनिया में रह रहे हैं जहाँ पर वायु, जल, भोजन सभी चीजे दूषित हैं। मनुष्य प्रजाति प्रदूषण को उत्पन्न करने में सबसे अहम योगदान दे रही है।

लोग पॉलीथीन और पेट्रोलियम जैसी चीजों का प्रयोग अधिक करते जा रहे हैं जिसकी वजह से पर्यावरण को बहुत हानि हो रही है। वैज्ञानिकों द्वारा भी पर्यावरण प्रदूषण को सूचीबद्ध किया गया है और हमारी सरकार भी इस विषय में बहुत चिंतित है।

प्रदूषण का अर्थ : पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश अथार्त ऐसे माध्यम जिनसे हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है। हमारे पर्यावरण प्रकृति और मानव की निर्मित चीजों के द्वारा गठित हैं। लेकिन हमारे ये पर्यावरण कुछ माइनों में प्रदूषित हो रहे हैं।

प्रदूषण के प्रकार : कहा जाए तो मोटे तौर पर पर्यावरण के मुख्य तीन घटक होते हैं – अजैविक या निर्जीव, जैविक या सजीव और ऊर्जा घटक। अजैविक या निर्जीव घटक स्थलमण्डल हैं, जैविक या सजीव रहने वाले घटक पौधों, जानवरों और मनुष्य सहित प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और ऊर्जा घटक जैसे – सौर ऊर्जा, पनबिजली, परमाणु ऊर्जा आदि विभिन्न जीवों के रखरखाव हेतु बहुत जरूरी हैं। पर्यावरण प्रदूषण 6 तरह का होता है – 1. जल प्रदूषण, 2. ध्वनि प्रदूषण, 3. वायु प्रदूषण, 4. भूमि प्रदूषण, 5. प्रकाश प्रदूषण, 6. उष्मीय प्रदूषण।

प्रदूषण का कारण : मनुष्य जाति इस स्थिति के लिए खुद ही जिम्मेदार है। क्योंकि मनुष्य जाति ऐसी बहुत सी वस्तुओं का प्रयोग कर रही है जिसे बनाने के लिए बहुत हानिकारक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है और जब ये चीजें फालतू बच जाती हैं तो इन्हें फेंक दिया जाता है जिसकी वजह से हानिकारक कैमिकल्स आस-पास के वातावरण में फैलने लगते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित कर देते हैं।

प्रदूषण की समस्या को बड़े-बड़े शहरों में ज्यादा देखा जाता है क्योंकि वहाँ पर 24 घंटे कारखानों का और मोटर गाड़ियों का धुआँ बहुत ज्यादा मात्रा में फैल रहा होता है जिसकी वजह से लोगों को साँस लेने में बहुत समस्या होती है। मनुष्य अपनी प्रगति के लिए वृक्षों को अँधा-धुंध काटता जा रहा है जिसकी वजह से प्रदूषण की मात्रा बढती जा रही है।

मनुष्य प्रकृति से मिले इस अमूल्य धन को व्यर्थ ही नष्ट करता जा रहा है। पर्यावरण में कार्बन-डाई-आक्साइड की अधिक मात्रा हो गई है जिसकी वजह से धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है। धरती के तापमान बढने की वजह से ओजोन परत को हानि हो रही है जिसके कारण सूर्य की किरण सीधी धरती पर पहुंचने लगी हैं और मनुष्य को अलग-अलग तरह की बीमारियाँ हो रही हैं।

पर्यावरण प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। यह ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि का एक कारण होता है। पिछले दशक से पर्यावरण बहुत अधिक बढ़ गया है। लेखकों ने भी पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लेखन का काम शुरू कर दिया है।

प्रदूषण सभी तरह से पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है और जीवन की परिस्थिति को भी प्रभावित कर रहा है। मनुष्य की मूर्खता की वजह से पृथ्वी का प्राकृतिक सौंदर्य दिन-प्रतिदिन खराब होता जा रहा है।

Answered by meerasinha
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Answer:

प्रदूषण का अर्थ है - प्राकृतिक सन्तुलन

में दोष पैदा होना । ना शुध वायू मिलना , ना शुध जल मिल्ना और ना हाय शान्त वातावरण मिलना ।

प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं । पर्मुख प्रदूषण है - वायू प्रदूषण, जल प्रदूषण, और धव्णि प्रदूषण ।

वायू प्रदूषण = मोटर वाहन और अन्य कई वाहन से जो हानिकारक धुआं निकलता है वो वातावरण में जाकर हवा को दूशित करते है जिससे सांस लेने में मुश्किल होती है ।

जल प्रदूषण = इस में जल की बर्बादी होती है । कई इलाके जहां जल की वयवस्था नही होती है वहाँ के लोगो के लिये हमें जल की सुरक्षा जरूर करनी चाहिए । ताकी उनको भी जल मिल सके । एक कहावत है = जल है तो कल है । इस को ध्यान में रख्ते हुए हमें जल की बर्बादी नही करनी चाहिये ।

धव्णि प्रदूषण = इस प्रदूषण में मोटर वाहन के जो होर्न होते है उस से जो छोटे बच्चे है उन्के कान के पर्दे फट जाते है । और कई जगह में रात को बहुत जोर जोर से गाने बज रहे होते है और रात को सभी सो रहे होते है सुबह पता चल्ता है की उन्के कान के पर्दे फट चुके है इसिलिये हमे इन सभी चीज़ो से बच कर रहना चाहिए ।

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