Hindi, asked by mayurys9845, 1 year ago

Paragraph on prakriti ka prakop in hindi

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Answered by TahshinTA
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Answered by sunainagupta1983
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Answer:पर्वों का बदलता स्वरुपभारत में कई पर्व हैं| होली, दिवाली, ईद, क्रिसमस, इत्यादि | हमारा भारत इन रंग बिरंगे त्योहारों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है| आजादी से लेकर आज तक न जाने कितने त्यौहार आए और वक़्त के साथ साथ इनका स्वरुप बदलता गया| मैंने कुछ त्योहारों के बदलते स्वरुप को देखा है - दिवाली सबका पसंदीदा त्योहार है| पटाखे, मिठाईयां, दिये, सबको भाते| पहले दिवाली पर सब अपने अपने घरों में दिये सजाते, उसमें अपने हाथों से बाती बनाकर लगाते, पटाखे कुछ गिने चुने होते, बच्चों को आवाज़ वाले पटाखे पसंद आते| धनतेरस से ही खरीद्दारी शुरू हो जाती- नए बर्तन, सोना, नए कपड़े, पूजा के लिए घरोंदे, चीनी मिट्टी के छोटे छोटे बर्तन हाट से लाते, लकड़ी की गाड़ी बाजारों में मिलती, बूंदी के लड्डू और गुलाब जामुन | अब दिवाली काफी बदल गयी| पटाखे आज भी हैं पर उनकी आवाज़ बड़ी से बड़ी होती जा रही है, घरोंदों में अब दिलचस्पी कम सी हो गई है| लकड़ी की गाड़ी की जगह अब लाइट वाले चाइनीस खिलोने आ गए हैं, मिठाईयों की जगह अब चॉकलेट आ गए | दिये भी रंग बिरंगे बाजारों में एक से एक मिलने लगे, अब कहा अपने हाथों से दिया सजाना और बाती बनाना होता है|होली पहले पांच छ दिन पहले से ही शुरू हो जाती | छतों पर बच्चे बाल्टी में रंग भरकर रास्ते से गुजरते हर इंसान को नहला देते, गुझिया, समोसे, मालपुए हफ़्तों पहले से बनते और रिश्तेदारों में बटते| होली के दिन बड़ी पिचकारी का शौक होता और बस सबको रंग लगाना, होली के बहाने मोहल्ले की औरतों से छेड़ छाड़ और हसी मज़ाक पर सब एक दायरे में होता| अब होली में गुब्बारे मारना शामिल हो गया है, इसमें में अपना मजा है, पिचकारियाँ और रंग बिरंगी तरह तरह की आ गयीं हैं, गुझिया, मालपुए, दही बड़े तो आज भी बनते हैं, पर अब गाने बजाने का भी चलन आ गया है| युवाओं में अब फ़िल्मी गानों पर डीजे और होली पार्टी देने का चलन है| रंग हानिकारक और केमिकल से भरे आने लगे हैं, अब एक दो दिन की ही छुट्टियाँ होती|ईद में जहाँ सेवइयां का शौक, सफ़ेद कुर्ते में जचते लड़के| आज भी वही सब रौनक है, बिरयानी खाना, सेवइयां खिलाना, खिलोने खरीदना| नया कुछ है तो फ़िल्मी गाने और नयी आई फिल्मों को पहले सिनेमा घर में देखने की होड़| क्रिसमस भी अब सिर्फ इसाईओं तक नहीं सिमट कर रह गया है| अब तो चर्च खुले रहते हैं और क्रिसमस मानो हर किसी का त्यौहार हो गया है| सैंटा क्लॉज़ बने बच्चे, चर्च में मोमबत्ती जलाना, केक खाना, क्रिसमस ट्री सजाना, तरह तरह की एक से एक सजावटी लाइट मिलती हैं| त्योहार आते हैं लोगों को एक करने के लिए, ये याद दिलाने के लिए की हसी ख़ुशी से साथ रहने में ही मजा है| आज भी त्यौहार लोगों को एक करते हैं, अब वो सादगी तो नहीं रही पर उल्लास आज भी रहता है, इस भागम भाग भरी दुनिया में त्यौहार अब एक थेरेपी का काम करते हैं, इसी बहाने लोग अपने ही परिवार से मिल पाते हैं, काम की भाग दौड़ में थोड़ी खुशियाँ बाट लेते हैं| त्योहार हमारे देश की पहचान है, और हमारे लिए जीने का अंदाज|

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