Paragraph on ritu anusar veshbhusha and khanpan
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ऋतु अनुसार वेशभूषा और खान-पान
रोटी, कपड़ा और मकान मनुष्य के सबसे महत्वपूर्ण जरूरतें हैं। स्वस्थ रहने के लिए मनुष्य को हमेशा ऋतु के अनुसार अपनी वेशभूषा तथा खान-पान में बदलाव लाना जरूरी होता है। मौसम के अनुसार भोजन में परिवर्तन करने वाले लोग हमेशा स्वस्थ और आनंदित रहते हैं, उन्हें बीमार होने का डर नहीं सताता है। खाना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन हर मौसम में एक जैसा खाना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। हर मौसम की जरूरत के हिसाब से खाने का अंदाज और खाने के स्वाद को भी बदलना चाहिए।
गर्मी के मौसम में ज्यादा मसालेदार और गरम तासीर वाला खाना खाने से बचें जैसे की नमकीन, कटु, खट्टे रस वाले उष्ण पदार्थ का सेवन न करें और जौ, चना, ज्वार, गेहूं, चावल, मूंग, अरहर, मसूर, बैंगन, मूली, बथुआ, परवल, करेला, तोरई, केला, खीरा, संतरा, शहतूत का सेवन करें। बारिश में हल्का और कम खाने से आपकी सेहत सही रहेगी क्योंकि इस ऋतु में पाचन शक्ति कम होती है। इसलिए इस मौसम में पुराना चावल, पुराना गेहूं, दही, खिचड़ी आदि हल्के पदार्थ का सेवन करें तथा तले-भुने और बाहरी खाने से परहेज करें। ठंड में मसालेदार खाना फायदेमंद होता है क्योंकि ठंडी में पाचक शक्ति तेज हो जाती है और इस समय गरिष्ठ भोजन भी आसानी से पच जाता है और शरीर को शक्ति प्रदान करता है। इसलिए इस मौसम में गर्म दूध, घी, गुड़, मिश्री, चीनी, खीर, जलेबी, आँवला, नींबू, जामुन, अनार, नारियल, मुनक्का, गोभी तथा शक्ति प्रदान करने वाले पदार्थों का सेवन करें।
वेशभूषा भी ऋतु अनुसार बदलनी चाहिए। मौसम में बदलाव मनुष्य को अस्वस्थ कर देता है। अलग-अलग मौसम, जैसे गर्मी, बारिश तथा ठंड, में व्यक्ति उस मौसम के अनुसार वेशभूषा बदलकर खुद को स्वस्थ रखता है। गर्मियों में ठंडे तन्तुओं से बने कपड़े, सुती कपड़े, लिनन के कपड़े पहनने चाहिए। इन कपड़ों में कोमलता, नमी सोखने की क्षमता होती है। सर्दियों में उनी तथा रेशम के कपड़ों को पहनना चाहिए। यह वस्त्र शरीर के तापमान को बनाए रखने में मदद करते हैं और शरीर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देते। वर्षा ऋतु में पानी न सोखने वाले कपड़ों को परिधान करना चाहिए।
इस तरह मनुष्य ऋतु के अनुसार अपने कपड़े और खान-पान में परिवर्तन करके अपने स्वास्थ्य को बनाए रखता है।