paragraph on samvidhan nirmata Bhim Rao Ambedkar in hindi in 150 to 200 words
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हर साल 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती मनाई जाती है। केंद्र सरकार ने इस साल बाबा साहब आंबेडकर जंयती के मौके पर सभी सरकारी कार्यालयों में छुट्टी की घोषणा की है। आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ। उनका मूल नाम भीमराव था। आंबेडकर के पिता रामजी वल्द मालोजी सकपाल महू में ही मेजर सूबेदार के पद पर तैनात थे। आंबेडकर का परिवार मराठी था और वो मूल रूप से महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के आंबडवेकर गांव के रहने वाले थे।
उनकी मां का नाम भीमाबाई सकपाल था। आंबेडकर के पिता कबीर पंथी थे। महार जाति के होने की वजह से आंबेडकर के साथ बचपन से ही भेदभाव शुरू हो गया था। उन्हें प्रारंभिक शिक्षा लेने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ा। लेकिन इन सबके बावजूद भी आंबेडकर ने न केवल उच्च शिक्षा हासिल की बल्कि, स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बने। भारतीय संविधान का निर्माण किया।
आंबेडकर बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। स्कूल में उनका उपनाम गांव के नाम के आधार पर आंबडवेकर लिखवाया गया था। लेकिन स्कूल शिक्षक ने आंबडवेकर को आंबेडकर कर दिया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दापोली और सतारा में हुई। आंबेडकर ने बंबई के एलफिन्स्टोन स्कूल से 1907 में मैट्रिक पास की। 1912 में आंबेडकर ने बड़ौदा नरेश सयाजी राव गायकवाड़ की फेलोशिप पाकर मुबई विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा पास की। संस्कृत पढ़ने पर मनाही की वजह से आंबेडकर फारसी लेकर पास हुए।
आंबेडकर ने अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से बी.ए पास किया और बड़ौदा नरेश सयाजी गायकवाड़ की पुन: फेलोशिप पाकर एमए में दाखिला लिया। 1915 में आंबेडकर ने स्नातकोत्तर की परीक्षा पास की। उन्होंने अपना शोध 'प्राचीन भारत का वाणिज्य' पर लिखा । 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय अमेरिका से ही उन्होंने पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। पीएच.डी में आंबेडकर का शोध का विषय था 'ब्रिटिश भारत में प्रातीय वित्त का विकेन्द्रीकरण'। आंबेडकर को लंदन यूनिवर्सिटी ने डॉक्टर्स ऑफ साइंस की उपाधि दी। 1927 में कोलंबंनिया यूनिवर्सिटी ने भी उन्हें पीएचडी की उपाधि दी। उन्होंने जीवन भर समाज में अनुसूचित वर्ग को समानता दिलाने के लिए संघर्ष किया।
29 अगस्त 1947 को उन्हें भारत के संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। संविधान का फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने में आंबेडकर को 2 साल 11 महीने और 17 दिन लगे। 'द बुद्ध एंड हिज़ धम्म' था।
इस किताब को पूरा करने के तीन दिन बाद 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में आंबेडकर का निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार मुंबई में बौद्ध रीति-रिवाज के साथ हुआ।
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दलित बौद्ध आंदोलन भारत में बाबासाहेब अम्बेडकर की अगुवाई में दलितों द्वारा किया गया एक आंदोलन था। यह आंदोलन अम्बेडकर जी के द्वारा 1956 में तब शुरू किया जब लगभग ५ लाख दलित उनके साथ सम्मलित हो गए और नवयान बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो गए। यह आंदोलन बौद्ध धर्म से सामाजिक और राजनीतिक रूप से जुड़ा हुआ था, इसमे बौद्ध धर्म की गहराईयों की व्याख्या कि गई थी तथा नवयान नामक बौद्ध धर्म स्कूल का निर्माण किया गया था।
उन्होंने सामूहिक रूप से हिंदू धर्म और जाति व्यवस्था का पालन करने से मना कर दिया। उन्होंने दलित समुदायों के अधिकारों को बढ़ावा दिया। उनके इस आंदोलन में बौद्ध धर्म के परंपरागत संप्रदायों जैसै, थेरावाड़ा, वज्रयान, महायान के विचारों का पालन करने से इंकार कर दिया। बाबासाहेब अम्बेडकर द्वारा बताए गए बौद्ध धर्म के नये रूप का पालन किया गया, जिसमे सामाजिक समानता और वर्ग संघर्ष के संदर्भ में बौद्ध धर्म को दर्शाया गया।
अंबेडकर जी अपनी मृत्यु से कुछ हफ्ते पहले 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर के दीक्षाभूमि में एक साधारण समारोह के दौरान उन्होने अपने लाखों समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया क्योंकि कई लेख और किताबें प्रकाशित करने के बाद लोगों को यह पता चला गया था कि बौद्ध धर्म दलितों को समानता प्राप्त कराने का एकमात्र तरीका है।
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