paragraph suryast ka drishya
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पूर्व दिशा की ओर उभरती हुई लालिमा को देखकर पक्षी चहचहाने लगते हैं उन्हें सूर्य के आगमन की सबसे पहले सूचना मिल जाती है । वे अपनी चहचहाहट द्वारा समस्त प्राणी जगत् को रात के बीत जाने की सूचना देते हुए जागने की प्रेरणा देते हैं । सूर्य देवता का स्वागत करने के लिए प्रकृति रूपी नटी भी प्रसन्नता में भर कर नाच उठती है । फूल खिल उठते हैं, कलियाँ चटक जाती हैं और चारों ओर का वातावरण सुगन्धित हो उठता है । सूर्य देवता के आगमन के साथ ही मनुष्य रात भर के विश्राम के बाद ताज़ा दम होकर जाग उठते हैं। हर तरफ चहल-पहल नजर आने लगती है। किसान हल और बैलों के साथ अपने खेतों की ओर चल पड़ते हैं । गृहणियाँ घरेलू काम-काज में व्यस्त हो जाती हैं । मन्दिरों एवं गुरुद्वारों में लगे लाउडस्पीकर और भी ऊँची आवाज़ में भजन कीर्तन के कार्यक्रम प्रसारित करने लगते हैं । भक्तजन स्नानादि से निवृत्त हो पूजा पाठ में लग जाते हैं । कुछ लोग मन्दिरों, गुरुद्वारों में माथा टेकने के लिए घर से निकल पड़ते हैं । स्कूली बच्चों की माताएँ उन्हें झिंझोड़-झिंझोड़ कर जगाने लगती हैं । दफ्तरों को जाने वाले बाबू जल्दी-जल्दी तैयार होने लगते हैं ताकि समय पर बस पकड़ कर अपने दफ्तर पहुँच सकें। थोड़ी देर पहले जो शहर सन्नाटे में लीन था आवाजों के घेरे में घिरने लगता है । सड़कों भोटरों, स्कूटरों, कारों के चलने की आवाजें सुनाई देने लगती हैं। ऐसा लगता है मानो के भी नींद से जाग उठी हों । सूर्योदय समय की प्राकृतिक सुषमा का असली नज़ारा को किसी गाँव, किसी पहाड़ी क्षेत्र अथवा किसी नदी तट पर ही देखा जा सकता है । प्रातः ला में सोये रहने वाले लोग प्रकृति की इस सुन्दरता के दर्शन नहीं कर सकते । कौन उन्हें ताए कि सूर्योदय के समय सूर्य के सामने आँखें बन्द कर दो-चार मिनट खड़े रहने से खों की ज्योति कभी क्षीण नहीं होती । पर जो विद्यार्थी उठते ही सूर्योदय के बाद हैं वे । म पावन दृश्य से लाभ कैसे उठा पाएँगे । अतः सूर्योदय से पहले जागना स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभप्रद है ।