Paragraph writing on आज़ादी का महोत्सव
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स्वतंत्रता प्रत्येक मामले में एक अलग अर्थ हो सकता है कि एक बहुत व्यापक अवधारणा है। यह अपने विकास की दिशा या अपने कार्यक्रम, वित्त स्वतंत्रता, विचारों की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अपने शरीर और आत्मा की स्वतंत्रता की योजना बनाने में अपने कार्यों, निर्णय लेने में स्वतंत्रता, के चुनाव की स्वतंत्रता हो सकता है के रूप में साथी या एक सहयोगी चुनने में स्वतंत्रता।
लोग इस शब्द में उनके अर्थ को देखते हैं। कोई है, वहाँ उदासी और संदेह से देखता है किसी को उम्मीद और आशावाद को देखता है, और किसी और को इस शब्द और यह लाता परिणामों की बस डर है।
ऐसा किस लिए? स्वतंत्रता का चयन करने और चुनने का अधिकार है, क्योंकि जिम्मेदारी का तात्पर्य है कि प्रक्रिया है जो एक निर्णय बनाने का मतलब है।
यह समाज में रहते हैं और इसके बारे में मुक्त होने के लिए असंभव है। हम अपने समाज के सभी बच्चे हैं। और हम यह चाहते हैं या नहीं, हम हमेशा समाज के नियमों और नींव के अनुसार जीने के लिए है। लगातार फिर से विचार बदल रहे हैं, कि नियमों में संशोधन, लेकिन यह कैसे होता है।
हमारे बचपन से, हम आम अच्छे की खातिर और नहीं खुद के लिए रहने के लिए कर रहे हैं कि सिखाया जाता था। लेकिन हम वहाँ हमेशा अनिवार्य रूप से गठित चुना गया है, और हम कुछ समय पहले वे भी सिखाया गया था। हम अपने माता-पिता, हमारे स्कूल के शिक्षकों द्वारा इस तरह से सिखाया जाता था में रह रहे समाज द्वारा नियंत्रित किया गया था खुद के इस छोटे से भाग गया था, और बदले में, यह भी हमारे बच्चों को समाज के नियमों से जीना सिखाना होगा।
आप इस शब्द का कहीं भी यहां इन पंक्तियों में 'आजादी' देख सकते हैं? नहीं, केवल नियम, सीमाओं, और दायित्वों को देखते हैं। और इसलिए इस तरह के एक जीवन नहीं होगा हमें एक गुलामी किसी तरह का है कि लगता है, हम फिर से कुछ नियमों के अनुसार, सभ्यता के सभी आशीर्वाद है।
यह इन आशीर्वाद स्वतंत्रता के बारे में क्या कर रहे हैं कि लगता है। लेकिन ऐसा नहीं है। हम हमारे लिए क्या हो रहा है के लिए सभी की जिम्मेदारी लेने के लिए जब यह एक काल्पनिक स्वतंत्रता नहीं, असली एक है।
Explanation:
आजादी का अमृत महोत्सव : नमक सत्याग्रह की तरह 25 दिन में तय करेंगे 241 मील का रास्ता
दांडी मार्च की तर्ज पर इस कार्यक्रम की शुरुआत फ्रीडम मार्च नामक पदयात्रा से की जाएगी। यह यात्रा अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से शुरू होकर दांडी तक जाएगी। दांडी यात्रा में महात्मा गांधी सहित 80 स्वतंत्रता सेनानियों ने भाग लिया था, इसी बात को ध्यान में रखकर इस फ्रीडम मार्च में भी 80 पदयात्रियों को शामिल किया गया है। 241 मील की यह यात्रा 25 दिन में 5 अप्रैल को समाप्त होगी। दांडी के रास्ते में विभिन्न समूहों के लोग पदयात्रा में शामिल होंगे। इस यात्रा के पहले चरण का नेतृत्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल कर रहे हैं। इसमें बीजेपी के कई बड़े नेता जैसे गिरिराज सिंह, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, सांसद देवू सिंह चौहान, विधायक अर्जुन सिंह चौहान भी शामिल हुए हैं।
आजादी का अमृत महोत्सव : चरखे के रास्ते वोकल फॉर लोकल
इस आयोजन के माध्यम से ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। इसे लोकप्रिय बनाने के लिए साबरमती आश्रम में मगन निवास के पास एक चरखा स्थापित किया जाएगा। कोई भी व्यक्ति जब कोई भी स्थानीय उत्पाद खरीदेगा और ‘वोकल फॉर लोकल’ का इस्तेमाल करते हुए उसकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करेगा तो आत्मनिर्भरता से संबंधित प्रत्येक ट्वीट के साथ यह चरखा एक बार घूमेगा।
आजादी का अमृत महोत्सव : राज्यों ने 25 करोड़ रुपये तक का तय किया बजट
एएनआई के मुताबिक तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने आजादी का अमृत महोत्सव का जश्न मनाने के लिए 25 करोड़ रुपये के बजट को मंजूर दी है। इसके साथ ही राज्य के 75 महत्वपूर्ण केंद्रों पर तिरंगा लगाने के निर्देश भी दिए हैं। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने घोषणा की है कि पूरे राज्य में 75 सप्ताह स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिसके जरिए देशभक्ति का संदेश देने और भारतीय संस्कृति की झलक दिखाने की कोशिश की जाएगी।
अमृत महोत्सव यानी नए संकल्पों का अमृत
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव यानी आजादी की ऊर्जा का अमृत। आजादी का अमृत महोत्सव यानी स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत। आजादी का अमृत महोत्सव यानी नए विचारों का अमृत। नए संकल्पों का अमृत। आजादी का अमृत महोत्सव यानी आत्मनिर्भरता का अमृत।
आजादी का अमृत महोत्सव : देश की 75वीं वर्षगां का यह है मतलब
देश की 75 वीं वर्षगांठ का मतलब 75 साल पर विचार, 75 साल पर उपलब्धियां, 75 पर एक्शन और 75 पर संकल्प शामिल हैं, जो स्वतंत्र भारत के सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे।
दांडी मार्च की 91वीं वर्षगांठ पर क्यों शुरू किया अमृत महोत्सव
नमक भारत की आत्मनिर्भरता का एक प्रतीक था। अंग्रेजों ने भारत के मूल्यों के साथ-साथ इस आत्मनिर्भरता पर भी चोट की। महात्मा गांधी ने देश के दर्द को महसूस किया और नमक सत्याग्रह के रूप में लोगों की नब्ज को समझा, इसलिए वह आंदोलन जन-जन का आंदोलन बन गया था। इसलिए आज ही के दिन इस कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है ताकि आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा हो सके और भारत के विकास से दुनिया के विकास को भी प्रोत्साहन मिले। यह बात प्रधानमंत्री ने 12 मार्च को कही थी
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