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गांधी जी हमेशा कहते थे कि स्वच्छता स्वतंत्रता से ज्यादा अहम है। इस कथन से हम समझ ही सकते हैं कि उनके नज़र में स्वच्छता कितनी जरूरी थी। उन्होंने एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत की कल्पना की थी, जिसे पूरा करने का भार माननीय प्रधानमंत्री ने उठाया। अब तक किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं गया था।
क्या है यह अभियान?
इसकी परिकल्पना तो गांधीजी ने आजादी के पूर्व ही गढ़ दी थी, किंतु ऑफिशियली इसे एक अप्रैल, 1999 से शुरू माना जाता है। जब भारत सरकार ने ग्रामीण स्वच्छता और पूर्ण स्वच्छता के लिए आयोग गठित किए थे। जिसे बाद में 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह जी ने अपनी सहमति देकर इस योजना को ‘निर्मल भारत अभियान’ का नाम दिया।
सरकारी आँकड़ो की बात करें तो अब तक लगभग 10,19,64,757 घरों में शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। 6,03,055 ओपन डिफेकेशन फ्री गाँव हो चुके हैं। 706 जिले इसकी श्रेणी में आ चुके है। 36 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश मिलकर, इस मुहिम को सफल बना रहे हैं। ‘गांधीजी का चश्मा’ इस अभियान का लोगो (प्रतीक चिह्न) है। इसे भारत सरकार मंत्रालय के ‘जल शक्ति मंत्रालय’ के अधीन ‘पेयजल एवं स्वच्छता विभाग’ को सौंपा गया है।
प्रधानमंत्री जी ने पूरे देश से अपील की, कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में इस मुहिम से जुड़कर इसे सफल बनाये। पूरे देश ने उनकी बात मानी और यह अभियान राष्ट्रव्यापि आंदोलन बन कर उभरा। बड़ी-बड़ी सेलिब्रिटिज़ ने प्रधानमंत्री के आग्रह पर इस मिशन में अपना हाथ बँटाया। सफाई आंदोलन के तहत सभी पीएम के साथ सड़कों पर उतरे। झाड़ू लेकर पीएम ने स्वयं वाराणसी के गंगा तट के अस्सी घाट पर सफाई की।
उपसंहार
"जो परिवर्तन आप दुनिया में देखना चाहते हैं वह सबसे पहले अपने आप में लागू करें।" -महात्मा गांधी।
महात्मा गांधी जी की ये बात स्वच्छता पर भी लागू होती है। अगर हम समाज में बदलाव देखना चाहते हैं तो सर्वप्रथम हमें स्वयं में बदलाव लाना होगा। हर कोई दूसरों की राह तकता रहता है। और पहले आप-पहले आप में गाड़ी छूट जाती है।
साफ-सफाई से हमारा तन-मन दोनों स्वस्थ और सुरक्षित रहता है। यह हमें किसी और के लिए नहीं, वरन् खुद के लिए करना है। यह जागरूकता जन-जन तक पहुँचानी होगी। हमें इसके लिए ज़मीनी स्तर से लगकर काम करना होगा। हमें बचपन से ही बच्चों में सफाई की आदत डलवानी होगी। उन्हें सिखाना होगा कि, एक कुत्ता भी जहां बैठता है, उस जगह को झाड़-पोछ कर बैठता है। जब जानवरों में साफ-सफाई के प्रति इतनी जागरुकता है, फिर हम तो इन्सान है।
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