Hindi, asked by lalooahire12, 2 months ago

'परहित सरिस धर्म नहिं भाई' पर अपने विचार लिखिए​

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Answered by majithianajuka
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Answer:

परहित सरिस धरम नहिं भाई । पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।।” परोपकार से बढ़कर कोई उत्तम कर्म नहीं और दूसरों को कष्ट देने से बढ़कर कोई नीच कर्म नहीं । परोपकार की भावना ही वास्तव में मनुष्य को 'मनुष्य' बनाती है ।

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