परहित सरिस धर्म नहिं भाई पर कहानी
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रामचरितमानस में तुलसीदास ने लिखा है− 'परहित सरिस धर्म नहीं भाई', जिसका भावार्थ यह है कि दूसरों का हित करने से बड़ा कोई धर्म नहीं है। ज्योतिमठ के शंकराचार्य के परम शिष्य का नाम कृष्ण बोधाश्रम था। कृष्ण बोधाश्रम एक बार प्रवास पर निकले। घूमते-घूमते वे एक ऐसी जगह पहुँच गए, जहाँ पिछले पाँच वर्षों से बारिश नहीं हुई थी।
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