Hindi, asked by jayantpurbey08, 5 hours ago

" परहित सरिस धर्म नहिं भाई।पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।।" भाव स्पष्ट कीजिए:-​

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Answered by LoveAman
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Answer:

इसमें भगवान श्री राम भरत की विनती पर साधु और असाधु का भेद बताने के बाद कहते हैं- 'परहित सरिस धर्म नहीं भाई' और पर पीड़ा सम नहिं अधमाई. ' अर्थात दूसरों की भलाई के समान अन्य कोई श्रेष्ठ धर्म नहीं है और दूसरों को कष्ट देने के जैसा अन्य कोई निम्न पाप नहीं है.

Answered by Qwerty8307
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