परहित सरिस धरम नहीं भाई हिन्दी निबंध
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परहित सरिस धरम नहिं भाई । पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।।” परोपकार से बढ़कर कोई उत्तम कर्म नहीं और दूसरों को कष्ट देने से बढ़कर कोई नीच कर्म नहीं । परोपकार की भावना ही वास्तव में मनुष्य को 'मनुष्य' बनाती है ।
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