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परमाणु की महाशक्ति का विध्वंसकारी रूप मनुष्य ने हिरोशिमा तथा नागा
में देखा और उसे चिंता हुई कि यदि उसके प्रयोग की दिशा न बदली गई तो
बड़े भयावह परिणाम होंगे । भारत ने सदैव इस बात का प्रयत्न किया है कि
परमाणु ऊर्जा का प्रयोग विनाशकारी कार्यों के लिए न किया जाए, केवल
लोकमंगल के लिए उसका उपयोग हो । अब परमाणु ऊर्जा मनुष्यके
कल्याणकारी उपयोग में विविध रूप में आने लगी । हलके विस्फोट से सुरंग
बनाने, खानखोदने और चट्टान तोड़ने आदि कार्यों में इसका उपयोग हो रहा है।
कृषि -विज्ञान में भी परमाणु सम्बन्धी अनुसन्धान अनेक रूपों में हो रहे हैं।
फलों एवं पौधों की नस्लों को संवृद्ध करके और रोगों से रक्षा करके उपज को
बढ़ाने में काम लिया जा रहा है । चिकित्सा -विज्ञान ने भी इन अनुसंधानों का
लाभ उठाया है । कैंसर जैसे प्राणघाती रोग के उपचार में परमाणु ऊर्जा से बहुत sahayata milti hai summary of this
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विश्व ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम के प्रहार का विनाशकारी रूप देखकर यह सबक लिया कि इसका प्रयोग मानवकल्याण के लिए ही सही होगा न कि युद्ध के लिए। भारत ने भी सकारात्मकता की दिशा का ही समर्थन किया है। और इसप्रकार अब परमाणु ऊर्जा शक्ति का उपयोग चिकित्सा, कृषि, खनन, कृषि विज्ञान अनुसंधान, फलों व पौधों की नस्लों को संवृद्ध करने तथा कैंसर जैसी प्राणघाती रोगों के उपचार आदि सहित अनेक जनकल्याणकारी कायों में किया जाने लगा है जो अत्यंत सुखद है।।
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