Hindi, asked by masabishiraj53, 1 month ago

परमाणु शक्ति संपन्न भारत पर निबंध

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Answered by mayanksinghy034
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भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण 18 मई, 1974 को राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोकरण कस्बे के पास करके विश्व-हृदय में एक कंपन पैदा की थी, किंतु 24 वर्षों की चुप्पी के बाद 11 एवं 13 मई, 1998 को क्रमश: 3 व 2 परमाणु विस्फोट करके भारत विश्व में छठा परमाणु शक्ति-संपन्न राष्ट्र बन गया । विश्व में शांति का प्रबल समर्थक रहते हुए तथा पिछले 50 वर्षों में परमाणु अस्त्रों को सर्वथा नष्ट कर देने की बराबर अपील करते रहने के बावजूद भारत ने परमाणु विस्फोट परमाणु अस्त्रों का प्रयोग करने की मंशा से नहीं किया बल्कि अपने बिगड़ते जा रहे शक्ति-संतुलन को ठीक करने के लिए ही किया। एक दशक पूर्व भारत के प्रबल मित्र सोवियत रूस के बिखर जाने, शीत-युद्ध के समाप्त होने तथा रूस के कमज़ोर होते जाने के कारण भारत रूस द्वारा की गई सैन्य-संधि के मायने बदल गए, इस बीच भारत पर 1962 में एक बड़ा युद्ध थोप देने वाले चीन ने परमाणु हथियारों का विकास कर लिया। चीन और भारत का सीमा-विवाद भी सुलझ नहीं पाया तथा उसने अण्डमान द्वीप समूह से मात्र 30 कि.मी. दूरी पर म्यांमार (बर्मा) के द्वीप में तथा स्वयं म्यांमार में भारत की ओर निशाना किए परमाणु प्रक्षेपास्त्रों को स्थापित किया, भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर संघर्ष जारी रहा तथा पिछले दो दशकों में आतंककारियों के माध्यम से सामग्री यहाँ तक कि परमाणु हथियारों से संबंधित सामग्री का निर्यात किया और ये तथ्य सामने आने लगे कि पाकिस्तान भी परमाणु हथियार बनाने के बहुत करीब है।

उदारीकरण गैटसी.टी.बी.टी. आदि के द्वारा भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ता गया और भारत पारमाणविक तकनीक से संपन्न होते हुए भी परमाणु हथियारों से रहित एक शक्तिहीन राष्ट्र की छवि ही देता रहा। इन सब परिस्थितियों के दबाव से मुक्त होने के लिए भारत ने ज्यों ही मई, 1998 में परमाणु विस्फोट किया तो पश्चिमी दुनिया विस्मित रह गई तथा भारत के मित्र देशों ने इस घटना का गर्व के साथ स्वागत किया । भारत ने समग्र परमाणु परीक्षण संधि (सी.टी.बी.टी.) पर हस्ताक्षर नहीं किए थे, उस पर हस्ताक्षर करने का भारी दबाव था। अतः वह इस संधि पर हस्ताक्षर करने से पूर्व स्वयं को परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित कर दक्षिण एशिया में अपने विरुद्ध तैयार होते जा रहे शक्ति-संतुलन को अपने पक्ष में करना चाहता था और उसने ऐसा ही किया।

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