परमाणुु ऊर्जा के लाभों का वर्णन करें।
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हमारा देश एक कृषिप्रदान देश होते हुए भी यहाँ के लोग आजादी के उन प्रारम्भिक वर्षों में दाने-दाने के लिए तरस रहे थे। भूख से पीड़ित समाज का विकास करना एक बहुत ही कठिन कार्य था। कहा भी है-”भुखे भजन न होत गोपाला”।
अत: जब समाज विकास के बारे में योजनाएँ बनाने लगे तो देश को कृषि उपज में आत्मनिर्भर बनाना ही सर्वप्रथम लक्ष्य निश्चित हुआ। यह कार्य बिना विज्ञान कि सहायता के संभव नही था। अणु शक्ति के उपयोग ने कृषि उपज को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, फलस्वरुप आज एक अरब से अधिक आबादी का मात्र पेट ही नहीं भरता है अपितु लाखों टन अनाज विश्व के अन्य देशों को भी निर्यात किया जाता है। इस बड़ी उपलब्धि के बाद भी हमारे समाज का चौमुखी विकास करने में हम सक्षम हुए हैं।
यह एक स्वंय सिद्ध तथ्य है कि किसी भी देश का विकास बिना विद्युत ऊर्जा के संभव नहीं हैं विद्युत तो मानव को वरदान के रुप में प्राप्त हुई है एवं समाज के हर क्षेत्र में इसकी उपयोगिता में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। 1951 से ही देश परमाणु विद्युत उत्पादन कर विद्युत के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करेंगे की राह पर अग्रसर है। आज हमारा देश विश्व के उन सात राष्ट्रों में से एक है जिन्होंने परमाणु विद्युत उत्पादन की नवीनतम तकनीक में प्रवीणता प्राप्त कर ली है। प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर (पी.एच.डब्यू. आर.) सिद्धांत पर आधारित रावतभाटा (राजस्थान) नरोरा (उ.प्र.) कलपक्कम (तमिलनाडु) एवं काकरापार (सुरत-गुजरात) के परमाणु एवं अणु बिजलीघर विद्युत उत्पादन कर एसे गाँव-गाँव तक पहुँचाने में सक्षम हैं।
रेडियोधार्मिता के प्रयोग से हमने कृषि, चिकित्सा एवं ओद्यौगिक क्षेत्र में नवीन उपलब्धियाँ प्राप्त की हैंं कृषि के क्षेत्र में पौधों में जीन उत्परिवर्तन, नई किस्मों का निर्माण व उर्वरक की क्षमताओं में वृद्धि आदि से आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए हैं। औद्योगिक क्षेत्र में इसका उपयोग पाइपलाइनों के रिसाव को रोकने में, आधारभूत संरचनाओं की जाँच, उपकरणों की जाँच जैसे कार्यों में भी इसका योगदान दर्शनीय है। पृथ्वी का जन्म, पृथ्वी पर मानव के अंश आदि सभी परमाणु तत्वों से किए हुए अनुसंधानों का फल है।
होप्स इट हेल्प्स यू :)