Hindi, asked by queen69, 1 year ago

परम्पारओ का पालन करना उचित है या अनुचित

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Answered by vritikamishra4769
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करें सिर्फ नमस्कार : कोई राम-राम कहता है, तो कोई श्याम-श्याम, कोई जय शिव तो कोई जय हनुमान। आजकल तो लोग राधे-राधे और जय साई राम भी कहने लगे हैं। कुछ लोग तो जय भीम, जय गोंदवाले बाबा की और जय गजानन कहते हैं। हो सकता है कि दक्षिण भारत में कुछ और प्रचलन हो लेकिन उत्तर भारतीयों ने तो अभिवादन का धार्मिक तरीका तो छोड़ ही दिया है।



हालांकि भगवान का नाम लेने में कोई बुराई नहीं लेकिन अभिवादन का एक हिन्दू तरीके भी है उसे सभी अपनाएंगे तो अच्छा होगा। धर्म की ऐसी बहुत सी बातें है जिन्हें कालांतर में छोड़ देने के कारण हिन्दुओं की सोच में बिखराव आ गया है। 

'नम:' धातु से बना है 'नमस्कार'। नम: का अर्थ है नमन करना या झुकना। नमस्कार का मतलब पैर छूना नहीं होता। नमस्कार शब्द हिन्दी, गुजराती, मराठी, तमिल, बंगाली आदि वर्तमान में प्रचलित भाषाओं का शब्द नहीं है। यह हिन्दू धर्म की भाषा संस्कृत का शब्द है। संस्कृत से ही सभी भाषाओं का जन्म हुआ।

हिन्दू और भारतीय संस्कृति के अनुसार मंदिर में दर्शन करते समय या किसी सम्माननीय व्यक्ति से मिलने पर हमारे हाथ स्वत: ही नमस्कार मुद्रा में जुड़ जाते हैं। नमस्कार करते समय व्यक्ति क्या करें और क्या न करें इसके भी शास्त्रों में नियम हैं। नियम से ही समाज चलता है।

नमस्कार के मुख्यत: तीन प्रकार हैं:- सामान्य नमस्कार, पद नमस्कार और साष्टांग नमस्कार।

सामान्य नमस्कार : किसी से मिलते वक्त सामान्य तौर पर दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़कर नमस्कार किया जाता है। प्रतिदिन हमसे कोई न कोई मिलता ही है, जो हमें नमस्कार करता है या हम उसे नमस्कार करते हैं।

पद नमस्कार : इस नमस्कार के अंतर्गत हम अपने परिवार और कुटुम्ब के बुजुर्गों, माता-पिता आदि के पैर छूकर नमस्कार करते हैं। परिवार के अलावा हम अपने गुरु और आध्यात्मिक ज्ञान से संपन्न व्यक्ति के पैर छूते हैं।

साष्टांग नमस्कार : यह नमस्कार सिर्फ मंदिर में ही किया जाता है। षड्रिपु, मन और बुद्धि, इन आठों अंगों से ईश्वर की शरण में जाना अर्थात साष्टांग नमन करना ही साष्टांग नमस्कार है।

सामान्य नमस्कार :

1.कभी भी एक हाथ से नमस्कार न करें और न ही गर्दन हिलाकर नमस्कार करें। दोनों हाथों को जोड़कर ही नमस्कार करें। इससे सामने वाले के मन में आपके प्रति अच्छी भावना का विकास होगा और आप में भी। इसे मात्र औपचारिक अभिवादन न समझें।

2.नमस्कार करते समय मात्र 2 सेकंड के लिए नेत्रों को बंद कर देना चाहिए। इससे आंखें और मन रिफ्रेश हो जाएंगे।

3.नमस्कार करते समय हाथों में कोई वस्तु नहीं होनी चाहिए।

पाद नमस्कार : 

1. ऐसे किसी व्यक्ति के पैर नहीं छूना चाहिए जिसे आप अच्छी तरह जानते नहीं हों या जो आध्यात्मिक संपन्न व्यक्ति नहीं है। बहुत से लोग आजकल चापलूसी या पद-लालसा के चलते राजनीतिज्ञों के पैर छूते रहते हैं, जो कि गलत है।

 
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Answered by kaustubhNK
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Answer:

( it's a self response/ personal response answer)

Paramparao ka palan karna bilkul uchit hai. Paramparao ka palan kai peedo se kiya ja raha hai. Humare purvaj paramparao ka adar karte the. Hume bhi vaha paramparao ka adar karna chahiye aur unka palan karna chahiye taki unhe anewali peedi bhi apna sake, samajh sake. Itna hi nahi, humari parampara hume ek acha insaan banati hai aur hume buri disha mein jane se bachati hai. Ant mein yaha sach hai ki Paramparao ka palan karna uchit hai.

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