Hindi, asked by virus4sw, 1 year ago

परम सुख और चरम सुख में क्या अंतर है?

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Answered by rajaku592001
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शैलेन्द्र साहब का लिखा हुआ एक ऐसा सदाबहार गीत, जो कहीं भी सुनने को मिल जाये तो हमारे चलते हुए क़दमों को रोक देता हैै। शैलेन्द्र जी ने गीत में पिंजड़े में बंद मुनिया पक्षी और मज़बूरी व मर्यादाओं के पिंजड़े में कैद भारतीय नारी की चर्चा की हैै। इस लेख में मैं मुनिया शब्द का प्रयोग सेक्स के लिए करने जा रहा हूँ। भारत में यूँ तो शर्म, संकोच और मर्यादाओं के पिजड़े में सेक्स रूपी मुनिया कैद है, परन्तु जीवन के सफर में स्त्री हो या पुरुष, ऐसा कोई मुसाफिर नहीं, जिसे ये अपने मोहजाल में न फंसाई होै।

स्त्री और पुरुष का शरीर किसी हलवाई की दुकान के जैसा ही है, जहांपर शब्द, रूप, रस, गंध और स्पर्श रूपी विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्न सजे हुए हैं। सेक्सवाली मुनिया जब स्त्री व पुरुष के भीतर से निकलकर बाहर सजी शरीर रूपी हलवाई की दुकान पर बैठती है तो शब्द रूपी, रूप रूपी. रस रूपी, गंध रूपी और स्पर्श रूपी बर्फी का स्वाद लेकर ही उड़ती हैै। संसार में कोई भी जीवात्मा आये और जाये, ये सेक्स रूपी पिंजड़ेवाली मुनिया किसी का भी जल्दी पीछा नहीं छोड़ती हैै। यदि पूरी ईमानदारी से स्वीकार किया जाये तो बात सत्य लगेगीै।

Answered by sudipsarkarStreamer
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Answer:

Mai Nahi jaata sorry

Explanation:

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