परमात्मा अपनी किस शक्ति द्वारा सुप्त प्रकृति को प्रेरित करके सृष्टि को रच देता है? *
Answers
हमारा और हमारे ब्रह्मांड का अस्तित्व इसलिए है, क्योंकि प्रकृति अपने नियम कई बार स्वयं ही भंग करती है. सृष्टि की उत्पत्ति नियमभंग का नतीजा है. उन्हें Symmetry अर्थात समरूपता का प्राकृतिक नियम कभी-कभी अकस्मात भंग होने के बारे में उनकी अनोखी अवधारणा के लिए पुरस्कृत किया गया है l
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Explanation:
हम पृथिवी पर रहते हैं और इससे जीवन पाते हैं। पृथिवी में ही हम श्वांस लेना आरम्भ करते हैं, जीवन भर लेते हैं और मृत्यु के अवसर पर अन्तिम श्वांस लेकर इस शरीर को छोड़कर अपने कर्मों व प्रारब्ध के अनुसार ईश्वर की व्यवस्था से नया जन्म, योनि व जीवन पाते हैं। हमारी पृथिवी हमारे सूर्य का एक ग्रह है और चन्द्रमा हमारी पृथिवी का उपग्रह है जो सूर्य से प्रकाश लेकर हमें रात्रि के समय में ज्योतित व प्रकाशित होकर प्रकाश को पृथिवी पर परावर्तित कर रात्रि के अन्धकार को दूर करता है। चन्द्रमा से ही हमारी ओषधियों में रस उत्पन्न होता है वा भरा जाता है। पृथिवी की ही भांति सूर्य के मंगल, बुध, बृहस्पति आदि अन्य अनेक ग्रह हैं जो अपनी धूरी पर घुमते हुए सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इन सभी ग्रहों के भी अपने-अपने एकाधिक उपग्रह हैं। सभी ग्रहों व उपग्रहों की सूर्य से दूरी, परिभ्रमण का समय, उनके मास व दिन का परिमाण पृथिवी की तुलना में भिन्न है। यह सब मनुष्यों को आश्यर्चान्वित वा विस्मित करता है और सोचने को विवश करता है कि आखिर इस सृष्टि वा ब्रह्माण्ड को किसने बनाया है? महर्षि दयानन्द के सामने भी यह प्रश्न व इससे जुड़े कुछ अन्य प्रश्न उपस्थित हुए अतः उन्होंने सृष्टि