Hindi, asked by vyommakawana87, 5 months ago

paramparik khanpan avem aadhunik khan pan ki shaili mein anter​

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Explanation:

भोजन मनुष्य की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आधारभूत आवश्यकता है जिसके बिना कोई भी प्राणी जीवन की कल्पना नहीं कर सकता है। जीवन के प्रारंभ से जीवन के अंत तक शांत करने तथा शारीरिक विकास के लिये मनुष्य को भोजन की आवश्यकता होती है। डॉ. रंधावा के अनुसार ‘‘भोजन की आदत तथा पर्यावरण जिसमें मनुष्य जीवनयापन करता है, ये घनिष्ट संबंध होता है जिसके लिये मनुष्य सर्वप्रथम स्वयं पर्यावरण से संबंध स्थापित करता है तत्पश्चात उस पर्यावरण के अनुसार वह अपनी आदतें तथा स्वभाव को समायोजित करता है। इन आदतों में मनुष्य सर्वप्रथम भोजन की आदतों का समायोजन तथा बाद में अन्य आवश्यकताओं में संतुलन स्थापित करता है।’’ अली मोहम्मद 2 का मत है कि भोजन तथा खानपान की आदतों के निर्धारण में आय का आकार सार्वाधिक महत्त्वपूर्ण होता है। खानपान की आदतों में लगभग समानता रहते हुए भी आय का आकार तथा भोज्य पदार्थों की भोजन की आदतों में न्यूननाधिक अंतर उत्पन्न करते हैं। ‘‘चौहान आरवी सिंह 2 वे समय अंतराल के साथ-साथ स्थाई आदतों, स्थाई पसंद तथा स्थाई रुचियों में परिवर्तित हो जाती हैं। परिस्थितिकीय अंतर आय का आकार परिवार का आकार खाद्य पदार्थों की उपलब्धता तथा लोगों के जीने का ढंग आदि लोगों की भोजन की आदतों में अंतर के लिये उत्तरदायी होते हैं।’’ इस दृष्टि से अध्ययन क्षेत्र जनपद प्रतापगढ़ में भोजन की आदतों में बहुत अधिक भिन्नता देखने को मिलती है। यद्यपि जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोग एक ही प्रशासन तंत्र के अंतर्गत नियंत्रित हैं परंतु फिर भी विभिन्न क्षेत्रों में परिस्थितिकीय अंतर, लोगों की भोजन संबंधी आदतों में अंतर उत्पन्न करती है।

1. भोजन की रासायनिक रचना

शारीरिक क्रियाएँ करने के लिये भोजन ठीक उसी प्रकार आवश्यक है जिस प्रकार मोटर कार की गति के लिये पेट्रोल/सतत क्रियाशील रहने के कारण मोटर के विभिन्न पुर्जों की भाँति हमारे शरीर के अवयव भी घिसते, छीजते व नष्ट होते रहते हैं, इस क्षति की पूर्ति अनिवार्य है, यह क्षति-पूर्ति भोजन द्वारा ही संभव होती है। संक्षेप में भोजन निम्नलिखित कार्य करता है :

भोजन का वर्गीकरण :

भोजन से प्राप्त पोषक तत्वों को कार्य के आधार पर तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है।

(अ) शारीरिक विकास, वृद्धि एवं जैविक कार्यों के लिये ऊर्जा प्रदान करने वाले पदार्थ।

(ब) शरीर निर्माण करने वाले पोषक पदार्थ

(स) स्वास्थ्य की रक्षा करने वाले पदार्थ

(अ) शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाले पदार्थ :

(1) कार्बोहाइड्रेट्स -

शक्तिवर्द्धक पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट्स का प्रमुख स्थान है। कार्बोहाइड्रेट्स कार्बन, ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन के यौगिक होते हैं। इनकी रासायनिक रचना में हाइड्रोजन के परमाणु की संख्या ऑक्सीजन के परमाणुओं की अपेक्षा प्राय: दोगुनी होती है। ये दो प्रकार के होते हैं -

(क) स्टार्च देने वाले - यह पोलीसेकेराइड्स होते हैं जो गेहूँ, चावल, चना, जौ तथा विभिन्न दालों में पाये जाते हैं।

(ख) शर्करा देने वाले - यह मोनो तथा डाईसेकेराइड्स हैं जो चीनी, गुड़, मीठे फल, आदि से उपलब्ध होते हैं। गन्ने में सुक्रोज, अंगूर में ग्लूकोज अन्य फलों में फ्रक्टोज, दूध में लेक्टोज तथा फलों और सब्जियों में सेलुलोज पाये जाते हैं।

(2) वसा -

वसा भी ऊर्जा का प्रमुख साधन है। वसा की प्राप्ति दो प्रकार से होती है।

(क) वनस्पति वसा - तिल का तेल, सरसों का तेल, नारियल का तेल, मूंगफली का तेल आदि वनस्पति वसा हैं।

(ख) पशुओं से वसा - मछली का तेल, पशुओं की चर्बी, अंडे की जर्दी, दूध, घी, मक्खन इसके अंतर्गत आते हैं।

(ब) शरीर का निर्माण एवं पोषक करने वाले पदार्थ -

भोज्य पदार्थों से प्राप्त तत्वों की रचना अनेक प्रकार के रासायनिक यौगिकों से हुई है जिन्हें भोजन में पोषक तत्व कहते हैं, जिन्हें अंग्राकित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है -

1. शरीर निर्माण करने वाले पदार्थ - प्रोटीन

2. शक्तिबर्द्धक पदार्थ - कार्बोहाइड्रेट्स, जल, वसा

3. स्वास्थ्यवर्द्धक - खनिज, लवण, विटामिन

(क) प्रोटीन्स -

प्रोटीन का रासायनिक संगठन अत्यंत जटिल है। यह कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, गंधक, नाइट्रोजन, फास्फोरस आदि 18 तत्व हैं जिन्हें अमीनोएसिड कहते हैं का सम्मिश्रण है। कुछ को छोड़कर अधिकांश प्रोटीन घुलनशील है, प्रोटीन प्राप्ति के साधन दो प्रकार के हो सकते हैं -

(1) जंतु प्रोटीन - दूध, अंडा, मांस, मछली, पनीर आदि में पाई जाने वाली प्रोटीन ए वर्ग की है।

(2) वनस्पति प्रोटीन - गेहूँ, जौ, चना, चवल, मटर, सेम, हरी पत्ती वाली सब्जियों से प्राप्त प्रोटीन देर से पचने के कारण ‘बी’ वर्ग में आती है।

(ख) खनिज लवण -

शारीरिक अंको का सुचारु रूप से संचालन तथा स्वास्थ्य के लिये खनिज लवणों का विशेष महत्त्व है, ये फास्फोरस, लोहा, कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम, आयोडीन, क्लोरीन व मैग्नीशियम आदि हैं। इन तत्वों में कैल्शियम फास्फोरस तथा लोहा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है।

(1) फास्फोरस -

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