पररश्रम का फि हमेशा मीठा होता है' इस सीि पर आधाररत कहािी लिखिए|
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I will tell two stories
•एक किसान था। उसे चार पुत्र थे। सब –सब आलसी थे। किसान को बहुत चिऩ्ता बना रहता था कि मेरा कोई भी पुत्र कामयाब नहीं हैं। उसे कैसे शिक्षा दी जाय, जिससे की जीवन में सफलता प्राप्त कर सके।
किसान बुढा हो चला थ। एख दिन किसान ज्य़ादा बीमार पङ गया। उन्हें बचने की कम उम्मीद रह रहा था। उसने अपने चारो बेटे को बुलवाया और कहा –बाग वाले खेत में मैं ने एक बडा कलश में करीब दस लाख रूपये किसी जगह जमीनमें गाड दिया है। किसान के इतना कहते ही उनका अन्तीम साँस छुट गया। चारों भाई ने सोचा कि पहले पिता जी का दाहसंकार कर दिया जाय।तब खेत के जमीन खोदेंगे।ऐसा ही सोच के अनुसार किया । पूरे खेत को खोद डाला । रूपये तो एक भी न मिला परन्तु जब खेत में बोआई किये तो फसल अच्छी लगी और अऩ्न काफी उपजा। सभी भाई काफी खुश थे ।
•यह कहानी प्राचीन काल की!!! एक राजा था वोह घुमने जा रहा था ! राजा ने रास्ते में एक पत्थर रक्खा देखा ! वोह इन्तजार करने लगा की कोई आकर इस पत्थर को यहाँ से हटाये ! तभी राजा के कुछ साथी वहा आ गये ! उन्होंने पत्थर हटाने की वजाए राजा को ही उस पत्थर को वहा होने का जिम्मेदार ठहराया , परन्तु किसी ने पत्थर को वहा से हटाने की कोसिस नहीं की ! कुछ समय बाद वहा से एक किसान गुजरा वोह अपने सर पर सब्जियों का बोछ रखके हुआ था ! उसने वहा पर एक बड़ा पत्थर रखा देखा !उस किसान ने सब्जियों को निचे रख कर उस पत्थर हटाने लगा कुछ समय पश्चात वोह वह पत्थर हटाने में कामयाब हो गया !और फिर वह सब्जियों को सर में रखकर चलने लगा ! जब वोह सब्जियों को सर में रखने लगा उसने देखा की जहा पर पत्थर रख्का था वहा एक थैला पड़ा है उसने सब्जियों को निचे रखकर उस थैले को उठाया उस थैले में सोने की असरफिया थी उसने वोह थैला राजा के पास जाकर उन्हें देने लगा लेकिन राजा ने वह थैला लेने वजाय उस किसान को दे दिया और कहा यह तुम्हारी मेहनत का फल है ! वहा मोजूद राजा के व्यापारी दोस्त उस थैले को ललचाई नजरो से देख रहे थे ! उस थैले को किसान को सुपुद्र करके राजा ने कहा की तुमने इस रास्ते को साफ़ किया है और यहाँ से गुजरने वालो को जाने की सुबिथा की है इसलिए यह सारी असरफिया उस किसान की मेहनत का फल है और राजा वहा से चले गए ! किसान वोह असरफिया लेकर खुशी - २ वहा से चला गया! इसी लिए कहते है मेहनत का फल मीठा होता है ?"
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एक किसान था। उसे चार पुत्र थे। सब –सब आलसी थे। किसान को बहुत चिऩ्ता बना रहता था कि मेरा कोई भी पुत्र कामयाब नहीं हैं। उसे कैसे शिक्षा दी जाय, जिससे की जीवन में सफलता प्राप्त कर सके।
किसान बुढा हो चला थ। एख दिन किसान ज्य़ादा बीमार पङ गया। उन्हें बचने की कम उम्मीद रह रहा था। उसने अपने चारो बेटे को बुलवाया और कहा –बाग वाले खेत में मैं ने एक बडा कलश में करीब दस लाख रूपये किसी जगह जमीनमें गाड दिया है। किसान के इतना कहते ही उनका अन्तीम साँस छुट गया। चारों भाई ने सोचा कि पहले पिता जी का दाहसंकार कर दिया जाय।तब खेत के जमीन खोदेंगे।ऐसा ही सोच के अनुसार किया । पूरे खेत को खोद डाला । रूपये तो एक भी न मिला परन्तु जब खेत में बोआई किये तो फसल अच्छी लगी और अऩ्न काफी उपजा। सभी भाई काफी खुश थे ।