Hindi, asked by harshsingh4196, 4 months ago

परशुराम गुरु-ऋण से किस प्रकार उऋण होना चाहते थे? उनकी
असफलता का कारण दीजिए।​

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Answered by Ansh0725
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मालखाना मोड़ पर सिद्धेश्वर नाथ मंदिर में चल रही राम कथा में कथा व्यास पंडित राम कुमार मिश्रा ने कहा कि भगवान परशुराम पर गुरु दक्षिणा का ऋण बना रहा। वह इसे नहीं चुका सके। शस्त्र शिक्षा पूरी होने के बाद भगवान परशुराम अपने गुरु शिव जी को गुरु दक्षिणा देना चाहते थे। उन्होंने शिव जी से गुरु दक्षिणा के रूप में कुछ भी मांगने को कहा। इस पर शिव जी ने शेष नाग का सिर लाने को कहा।

गुरु की आज्ञा पर भगवान परशुराम शेष नाग का सिर लेने चल दिए। रास्ते में उनको शिव धनुष टूटने की घोर ध्वनि सुनाई दी। ध्यान लगाने पर पता लगा कि राजाजनक की सभा में शिव धनुष तोड़ा गया है। वहीं लक्ष्मण के रूप में शेषनाग मौजूद हैं। परशुराम जनक सभा में पहुंचे। यहां वह शिव धनुष तोड़े जाने को लेकर आक्रोशित हो गए। कई बार लक्षमण का सिर काटने की कोशिश की। बाद में उनको पता लगा कि श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं। इसके बाद भगवान परशुराम जंगल में तपस्या करने चले गए। उन पर गुरु का ऋण हमेशा बना रहा। कथा के अंत में आरती और प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर मनोज शुक्ला, डॉ. सत्य प्रकाश, अमन, उमा, शशी, साहिल, पूनम, मोहित, संजीव, अजय दीक्षित आदि मौजूद रहे।

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