Computer Science, asked by vijaybarthwalvijayba, 9 months ago

परशुराम जी के अनुसार सेवक कौन हैं​

Answers

Answered by aishwarya6655
51

Answer:

परशुराम ने राम से कहा था कि सेवक वह होता है जो सेवा करे, न कि शत्रुता की राह पर चले। शत्रु का काम करके तो लड़ाई ही करनी चाहिए। जिसने शिव जी के धनुष को तोड़ा था वह सहस्रबाहु के समान उनका शत्रु था।

Answered by shishir303
7

परशुराम के अनुसार सेवक वह होता है जो सेवा का कार्य करें अपनी सेवा कार्य से अलग हट कर सकता हूं जैसा कार्य करने वाला सेवक नहीं हो सकता।

स्पष्टीकरण:

जब सीता स्वयंवर में श्री राम ने शिव धनुष को तोड़ दिया था, तो परशुराम यह समाचार पाकर तुरंत स्वयंवर स्थल पर आ गए थे और शिव धनुष टूटा देखकर क्रोधित हो गए। राजा जनक को ये शिव धनुष उन्होंने ही दिया था। अपने प्रिय धनुष का ये हाल देखकर उनके क्रोध की सीमा न रही और उन्होने क्रोध में पूछा कि किसने ये धनुष तोड़ा है, तो श्रीराम ने अत्यन्त सौम्य होकर विनम्रतापूर्वक उनका क्रोध शांत करने का प्रयत्न करते हुए उनसे कहा कि...

नाथ संभुधनु भंजनिहारा।

होइहि केउ एक दास तुम्हारा।।

आयसु काह कहिअ किन मोही।

सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही।।

अर्थात हे नाथ! इस शिव धनुष को तोड़ने वाला कोई आपका सेवक ही होगा, आप मुझे आज्ञा दें और अपनी बात कहें।

तब परशुराम क्रोधित होकर बोले कि...

सेवकु सो जो करै सेवकाई।

अरि करनी करि करिअ लराई।।

सुनहु राम जेहिं सिवधनु तोरा।

सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।।

अर्थात सेवक तो वह होता है, जो केवल सेवा कार्य करता है, शत्रुता वाले कार्य नही। जिस किसी ने भी ये शिव धनुष तोड़ा है, वो सेवक नही हो सकता है, वह उसी तरह मेरा शत्रु है, जिस तरह सहस्त्रबाहु मेरा शत्र है।

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