परशुराम जी श्री राम को सहस्रबाहु के समान शत्रु क्यों मानते हैं
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सीता स्वयंवर के दौरान रामजी ने राजा जनक के दरबार में रखे शिव धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश की। इसी क्रम में शिव धनुष टूट गया और परशुराम जी जो कि शिव जी के अनन्य भक्त थे वह क्रोधित हो उठे। जिस कारण उन्होंने शिव धनुष तोड़ने वाले को सहस्त्रबाहु के समान शत्रु मान लिया।
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kyonki ram aur sahastrabahu langotiye yaar the
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