परशुराम के गुरु कौन थे? वे गुरू ऋण किस प्रकार उतारना चाहते थे
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➲ परशुराम के गुरु भगवान शिव के परशुराम थे। परशुराम भगवान शिव से ही दीक्षा प्राप्त की थी। भगवान शिव ने उन्हें दिव्य धनुष प्रदान किया था। उसकी रक्षा करना उनका दायित्व था और इस धनुष की रक्षा करना वह अपने गुरु ऋण चुकाने के समान समझते थे।
व्याख्या ⦂
✎... परशुराम ऋषि जमदग्नि के पुत्र थे। अपने पिता की आज्ञा से वह शिव भगवान शिव की तपस्या में लीन हुए और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। भगवान शिव ने उन्हें एक फरसा प्रदान किया था। जिसके कारण उनका नाम परशुराम पड़ा। भगवान शिव ने उन्हें एक दिव्य धनुष प्रदान किया, जिसको उन्होंने राजा जनक के यहां धरोहर के रूप में रख दिया था। श्रीराम द्वारा इस धनुष के तोड़े जाने पर उन्हें लगा कि वह अपने गुरु भगवान शिव के प्रति ऋण चुकाने से वंचित हो गए क्योंकि इस दिव्य धनुष की रक्षा करना उनका दायित्व था।
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