परशुराम की क्रोधाग्नि को देखकर विश्वामित्र मन ही मन क्या सोच रहे थे राम लक्ष्मण परशुराम संवाद नामक कविता के आधार पर उत्तर दीजिए
kshiv7287:
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Explanation:
बिहँसि लखनु बोले मृदु बानी । अहो मुनीसु महाभट मानी ।।
पुनि-पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फैंक पहारू॥
इहाँ कुम्हड़बतियाँ कोउ नाहीं । जे तरजनी देखि मरि जाहीं ।।
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना॥
भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी। जो कुछ कहहु सह रिस रोकी ।।
सुर महिसुर हरिजन अरु गाई। हमरे कुल इन्ह पर न सुराई ।।
बधे पापु अपकीरति हारे । मारतहू पा परिअ तुम्हारे ।।
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। व्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा ।।
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