परशुराम के प्रति लक्षमणा की
'दो व्यख्योक्तियाँ लिखिर
Answers
वाला कलतगण परशुराम जी से करे कि आप पवरदस्ती कॉल को मेरे लिा लयमण के कटु वचन सुनवार परशुराम ने कुठोर को सुधार कर हारा में उठा लिया करते की कि जॉब लोग मुझे रोष मत देनाकार वचन बोलते लाला यमबालक बहुत हान्द काल के अधिन शेने वाला बालक समाकर उसे बहुत बरसे छोडाऊन राह सचमुच में मरने विश्वामिन नै काल सज्जन मानको के गुण - दोषो की गलत नहीं देने हैं अतः बालक समझकर लभमा के जापरायों को मामाचीजिए परशुराम ने विश्वामित ले जाया - " तीव्र कुमार निहाए करुणा डीन क्रोधी , और उस पर भी मेरे सामने अपराध करने वाला तया शुरू का अपमान करने वाला सामने खड़ा है । उत्तर पर उत्तर देण्याने तुम्हारे विनम् साभाव , के कारण इसे बिना मारे शोज रता नहीं तो से शोध परिनम से कठोर कुहार गे कारकर , जारकर गुरू - टण से मुक्त जाता " परशुराम के वचन सुन विरजानितणी सन मकर कहने लगे कि गुनि को अब तक अनेक वातियों को परामित करने के कारण महावो एरला मन