परशुराम को शिवजी के धनुष के प्रति कैसी भावना थी ?
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वे उस धनुश को अपने गुरु का धनुश मानते थे इस्ल्यिए उन्हे उस धनुस के प्रति लगव था, वे उस धनुश कि आदर करते थे
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उत्तर:
परशुराम की शिव जी के धनुष के प्रति आदर व सम्मान की भावना थी।
व्याख्या:
परशुराम वीर ब्राह्मण व योद्धा थे। उनकी शिव में अपार आस्था वे अनन्य भक्ति थी। शिव के अनन्य भक्त होने के कारण ही वे शिवजी के सारंग धनुष को पवित्र मानकर उसकी पूजा अर्चना करते थे। परशुराम ने यह धनुष सीता जी के पिता राजा जनक को भेंट किया था। जानकी द्वारा यह धनुष उठा लिया गया था जो पराक्रमी से पराक्रमी योद्धा भी हिला पाने में असमर्थ थे। श्री राम द्वारा सीता स्वयंवर के समय शिवजी का सारंग धनुष तोड़े जाने से परशुराम क्रोधित हो गए थे। धनुष तोड़े जाने को उन्होंने शिव जी का अपमान माना तथा उन्होंने शिव जी के धनुष को तोड़ने वाले श्री राम को अपना शत्रु घोषित किया।
इस प्रकार पता चलता है कि परशुराम जी की शिव जी के धनुष शारंग की प्रति अपूर्व भक्ति भावना थी।
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