Hindi, asked by payalsingh009988776, 5 months ago


'परशुराम के उपदेश' कविता का मूल भाव क्या है ? उस पर प्रकाश डालिए।​

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Answered by mukeshshanti83
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Answered by shishir303
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‘परशुराम के उपदेश’ कविता का मूल भाव...

‘परशुराम के उपदेश’ कविता  ‘रामधारी सिंह दिनकर’ द्वारा रचित एक ओजस्वीपूर्ण कविता है। इस कविता के द्वारा कवि रामधारी सिंह दिनकर ने देशवासियों के मन में चेतना और वीरता का भाव भरने की चेष्टा की है। इस कविता का मूल भाव अन्याय और अत्याचार के प्रति आवाज उठाने के लिए प्रेरित करना है।

कवि दिनकर जी कहते हैं कि जो लोग अत्याचार और अन्यया को सहते हैं, वह कायर हैं। अपने प्रति हो रहे अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाना मानव का धर्म है। वही मानव का मूल स्वभाव है। जिसकी भुजाओं में बल होता है, वही वीर कहलाता है।

कवि देशवासियों का आह्वान करते हुए अपनी शक्ति पहचानने के लिए कह रहे हैं, ताकि वह एकजुट हो जाएं और देश पर आने वाले सभी तरह की विपत्तियों और शत्रुओं से निपटें।

कवि ने इस कविता के माध्यम से देशवासियों में वीरता, चेतना, साहस, ओजस्वता का भाव बनने की चेष्टा की है।

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