परशुराम के उपदेश कविता में देशवासियों कप स्वाधीनता के लिए संघर्ष की प्रेरणा दी गयी है।आज के संदर्भ में क्या ये कैट प्रासंगिक है?सोदाहरण सिद्ध कीजिये।
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जी,हां यह कैट पूर्णत सत्य है।आज भी परशुराम जी की यह कविता हम सब के बीच प्रासंगिक है।जब यह कविता लिखी गई थी तब भी हमारा देश स्वतंत्र नहीं था और आज जब यह कविता हम सब के बीच चर्चित है तो भी आज का हमारा भारत स्वाधीन नहीं हैं क्योंकि कल का देश अंग्रेज़ों के पैरों की गुलामी प्रथा का शिकार था और आज का हमारा भारत चापलूसी प्रथा से प्रभावित है।
इस गुलामी प्रथा से आज़ादी की लड़ाई अभी हम सबको लड़नी है ताकि हमारीी वर्तमान पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी पूरी तरह से स्वाधीन हो अपने विचारों से, अपने अधिकारों से।
आज भी हमारे समाज में शिक्षित समाज के लोग ही हर बात पर रोक-टोक करते है। ऐसे विचारधारा वाले लोगों से हमें स्वाधीन होना है।
स्वाधीन होने के लिए सर्वप्रथम अपने विचारों से स्वाधीन होना है।
परशुराम के उपदेश कविता आज भी इसी कारण प्रासंगिक है।
इस गुलामी प्रथा से आज़ादी की लड़ाई अभी हम सबको लड़नी है ताकि हमारीी वर्तमान पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी पूरी तरह से स्वाधीन हो अपने विचारों से, अपने अधिकारों से।
आज भी हमारे समाज में शिक्षित समाज के लोग ही हर बात पर रोक-टोक करते है। ऐसे विचारधारा वाले लोगों से हमें स्वाधीन होना है।
स्वाधीन होने के लिए सर्वप्रथम अपने विचारों से स्वाधीन होना है।
परशुराम के उपदेश कविता आज भी इसी कारण प्रासंगिक है।
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