परशुराम ने क्षत्रियों के प्रति किस तरह के विचार प्रस्तुत किए
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ष्णु के छठे 'आवेश अवतार' परशुराम का जन्म 5142 वि.पू. वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के प्रथम प्रहर में भृगु ऋषि के कुल में हुआ था। इनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। उनके पूर्वज भृगु ऋषि ईरान के राजा थे, लेकिन विष्णु से दुश्मनी होने के चलते इनको भारत के धर्मारण्य में शरण लेना पड़ी।
ऐसा कुछ शोधकर्ता मानते हैं।
हालांकि इस सचाई की तह तक जाना होगा।
ऋचीक-सत्यवती के पुत्र जमदग्नि, जमदग्नि-रेणुका के पुत्र परशुराम थे। ऋचीक की पत्नी सत्यवती राजा गाधि (प्रसेनजित) की पुत्री और विश्वमित्र (ऋषि विश्वामित्र) की बहिन थी। परशुराम को शास्त्रों की शिक्षा दादा ऋचीक, पिता जमदग्नि तथा शस्त्र चलाने की शिक्षा अपने पिता के मामा राजर्षि विश्वमित्र और भगवान शंकर से प्राप्त हुई। च्यवन ने राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या से विवाह किया।
महर्षि भृगु के प्रपौत्र, वैदिक ॠषि ॠचीक के पौत्र, जमदग्नि के पुत्र, महाभारतकाल के वीर योद्धाओं भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा देने वाले गुरु, शस्त्र एवं शास्त्र के धनी ॠषि परशुराम का जीवन संघर्ष और विवादों से भरा रहा है। भृगुक्षेत्र के शोधकर्ता साहित्यकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय के अनुसार जिन राजाओं से इनका युद्ध हुआ उनमें से हैहयवंशी राजा सहस्त्रार्जुन इनके सगे मौसा थे। जिनके साथ इनके पिता जमदग्नि ॠषि का इनकी माता रेणुका को लेकर विवाद हो गया था। कथानक के अनुसार के साथ इनकी माता के सम्बंधों के लेकर हुए इस विवाद में इन्होंने अपने पिता के आदेश पर माता रेणुका का सिर काट दिया था। जिससे नाराज इनके मौसा सहस्त्रार्जुन ने जमदग्नि ॠषि का आश्रम उजाड़ दिया।
समाज में आम धारणा यह है कि परशुराम ने 21 बार धरती को क्षत्रियविहीन कर दिया था। सोचिए एक ही बार क्षत्रियों से विहीन करने के बाद दूसरी बार कैसे क्षत्रियों का जन्म हुआ, इस सवाल को खोजना होगा तभी दूसरी बार की बात करेंगे। एक समय ऐसा भी आया था जबकि परशुराम को क्षत्रिय कुल में जन्मे भगवान श्रीराम के आगे झुकना पड़ा था। तब...?
परशुराम ने कर दिया था अपनी माता का वध..
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