परती बहुत बड़ी है, नियम है,
अपनी जिया की गंध तक नहीं मिलेगी।
"जा बाहर साल है, नही है, हारना है,
पा पानी के लिए भटकना है,
यहाँ कटोरी भरा जल गटकना है।
बाहर जाने का टोटा है,
यहाँ चम्पा मोटा है।
बाहर बहेलिए का डर है,
यहाँ निर्दवदव कंठ स्वर है।
फिर भी चिड़िया
मुक्ति का गाना गाएगी,
मारे जाने की आशंका से परे होने पर भी,
पिंजरे में जितना अंग निकल सकेगा, निकालेगी,
हर जोर लगाएगी
और पिंजरा टूट जाने या खुल जाने पर उड़ जाएगी।
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इस कविता का क्या करना है इसका जो करना है वह बताएगें।
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