Hindi, asked by Anonymous, 1 month ago

परतंत्रता एक अभिशाप पर अनुच्छेद
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Answered by siddhibhakare0
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वास्तव में पराधीनता एक अभिशाप है। पराधीन मनुष्य की जिंदगी उसी तरह हो जाती है, जैसे-पिंजरे में बंद पक्षी। ऐसा जीवन जीने वाला मनुष्य सपने में भी सुखी नहीं हो सकता है। उसे दूसरों का गुलाम बनकर अपनी इच्छाएँ और मन मारकर जीना होता है।

Answered by ps3417290
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रथथथथददणबडणथमभबढढतचगडबभतथक्षभ

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