Hindi, asked by Machael24, 6 months ago

परतंत्रता
एक अभिशापरे विषय पर 80-100 शब्दों का
अनुन्हेद लिखिग​

Answers

Answered by karunap520
2

Answer:

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Explanation:

मनुष्य के लिए पराधीनता अभिशाप के समान है। पराधीन व्यक्ति स्वप्न में भी सुख का अनुभव नहीं कर सकता है। समस्त भोग-विलास व भौतिक सुखों के रहते हुए भी यदि वह स्वतंत्र नहीं है तो उसके लिए यह सब व्यर्थ है। पराधीन मनुष्य की वही स्थिति होती है जो किसी पिंजड़ें में बंद पक्षी की होती है, जिसे खाने-पीने की समस्त सामग्री उपलब्ध है पंरतु वह उड़ने के लिए स्वतंत्र नहीं है। हालांकि मनुष्य की यह विडंबना है कि वह स्वंय अपने ही कृत्यों के कारण पराधीनता के दुश्चक्र में फँस जाता है।

पराधीनता के दर्द को भारत और भारतवासियों से अधिक कौन समझ सकता है? जिन्हें सैकड़ों वर्षों तक अंग्रेजी सरकार के अधीन रहना पड़ा। स्वतंत्रता के महत्व को वह व्यक्ति पूर्ण रूप से समझ सकता है जो कभी पराधीन रहा है। हमारी स्वतंत्रता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। इस स्वतंत्रता के लिए कितने वर्षों तक लोगों ने संघर्ष किया, कितने ही अमर शहीदों ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।

पराधीनता के स्वरूप को यदि हम देखें तो हम पाएँगें कि पराधीन व्यक्ति के लिए स्वेच्छा अर्थहीन हो जाती है। उसके सभी कार्य दूसरों के द्वारा संचालित होते हैं। पराधीन मनुष्य एक समय अंतराल के बाद इन्हीं परिस्थितियों में जीने और रहने का आदी हो जाता है। उसकी अपनी भावनाएँ दब जाती हैं। वह संवेदनारहित हो जाता है। तत्पश्चात वह यंत्रवत् होकर काम करता रहता है। ऐसे व्यक्ति को मरा हुआ ही समझा जाता है क्योंकि संवेदनारहित व्यक्ति जिसकी स्वंय की इच्छा या भावनाएँ न हो तो उसका जीवन ही निरर्थक हो जाता है। ऐसे में कोई महापुरूष ही सामान्य जनों को जागृत कर सकते हैं। आम आदमी अपनी पारिवारिक चिंताओं से बाहर निकलने का साहस नहीं जुटा पाता है।

प्रसिद्ध फ्रांसीसी रूसों के अनुसार – मानव स्वतंत्र जन्मा है किंतु वह प्रत्येक जगह बंधनों से बँधा हैं। इस कथन पर यदि प्रकाश डालें तो हम पाते है कि मनुष्य प्रत्येक ओर से सांसारिक बंधनों में जकड़ा हुआ है परंतु कुछ बंधन उसने स्वीकार नहीं किए है। परिवार के प्रति उत्तरदायित्वों का निर्वाह, देश अथवा राष्ट्र के उत्थान के लिए प्रयत्न तथा आत्मविश्वास के लिए स्वंय को नियंत्रित करके चलना आदि को पराधीनता नहीं कह सकते। इन कृत्यों सें उसकी संवेदनाएँ एवं उसकी स्वेच्छा सम्मिलित है। परंतु अपनी इच्छा के विरूद्ध विवश्तापूर्वक किया गया कार्य पराधीनता का ही एक रूप है। बाल मजदूरी, बँधुआ मजदूरी, धनी एवं प्रभुत्व संपन्न व्यक्तियों की चाटुकारिता पराधीनता के ही विभिन्न रूप कहे जा सकते हैं।

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Answered by Anonymous
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हमारे भारत देश में जंगलों के आबादी बढ़ गई है। महाराष्ट्र में संजय गांधी नेशनल पार्क, उत्तर में बर्फीले जंगल और जीं कॉर्बेट, ताडोबा जैसे अभयारण्य भी प्रेक्षणीय स्थल में आते है। लेकिन बढ़ते तापमान, ग्लोबल वार्मिंग के वजेसे इं जंगलों की सुरक्षा का प्रश्न सामने आया है।

मेट्रो के लिए जगह, बिल्डिंग बांधने के लिए भी जंगलों को काटा जाता है। इसी लिए जंगल बचाओ, ऐसे कार्यक्रम सरकार हातो में ले रही है। इन कार्यक्रमों में लोग एकजुट होकर पौधे लगाते है अथवा जंगल की सुरक्षा करते है। इन सभी कार्यक्रम की बदालत जंगल / पेड़ो का काटना काम होगया है

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