Hindi, asked by msmeenakshi1971, 11 months ago

परवतीय जीवन की कठिनाईयो पर अनुचछेद

Answers

Answered by akash61913
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Explanation:

पर्वतीय क्षेत्रों में वचनों की कटाई तथा भू-क्षरण का पर्यावरण पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। इन दोनों समस्याओं के कारण जलस्रोत सूखते जा रहे हैं। बाढ़ में वृद्धि होती जा रही है, अनाजों की उत्पत्ति में गिरावट आ रही है। पशुओं द्वारा विशेष रूप से भेड़-बकरियों द्वारा चराई, भवनों, सड़कों, बाँधों, बड़े तथा मध्यम उद्योगों के अनियंत्रित निर्माण तथा खनन आदि कुछ अन्य कारण है जिनसे पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यावरण सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं और बढ़ती ही जा रही हैं। लेखक ने प्रस्तुत लेख में कुछ सुझाव दिये हैं जो हमारी प्राकृतिक पर्यावरण तथा जीवनयापन प्रणाली के लिये आवश्यक पारिस्थितिकी सन्तुलन की सुरक्षा तथा संरक्षण करने और पर्वतीय क्षेत्रों का एकीकृत विकास करने में उपयोगी साबित हो सकेंगे।

पर्वतीय क्षेत्रों में वचनों की कटाई तथा भू-क्षरण का पर्यावरण पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। इन दोनों समस्याओं के कारण जलस्रोत सूखते जा रहे हैं। बाढ़ में वृद्धि होती जा रही है, अनाजों की उत्पत्ति में गिरावट आ रही है। पशुओं द्वारा विशेष रूप से भेड़-बकरियों द्वारा चराई, भवनों, सड़कों, बाँधों, बड़े तथा मध्यम उद्योगों के अनियंत्रित निर्माण तथा खनन आदि कुछ अन्य कारण है जिनसे पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यावरण सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं और बढ़ती ही जा रही हैं। लेखक ने प्रस्तुत लेख में कुछ सुझाव दिये हैं जो हमारी प्राकृतिक पर्यावरण तथा जीवनयापन प्रणाली के लिये आवश्यक पारिस्थितिकी सन्तुलन की सुरक्षा तथा संरक्षण करने और पर्वतीय क्षेत्रों का एकीकृत विकास करने में उपयोगी साबित हो सकेंगे।पर्वतीय नगर स्वास्थ्यवर्धक जलवायु और नैसर्गिक सौन्दर्य का बोध कराते हैं जिनका पर्यटन की दृष्टि से रुचिकर केन्द्रों के रूप में संरक्षण, विकास तथा रख-रखाव किया जाना आवश्यक है। अतः स्थानीय निकायों द्वारा राज्य के पर्यटन और परिवहन विभागों के साथ परामर्श करके विकास का एक चरणबद्ध, सुव्यवस्थित तथा एकीकृत कार्यक्रम तैयार किया जाना जरूरी है।

वनों की कटाई तथा भूक्षरण पर्वतों की मुख्य समस्या है। इन दोनों समस्याओं के कारण जलस्रोत सूखते जा रहे हैं। बाढ़ में वृद्धि होती जा रही है और अनाज तथा ‘कैशक्रोप’, चारे ईंधन तथा अन्य लघु वन्य उत्पादों की उत्पत्ति में गिरावट आती जा रही है। पशुओं द्वारा, विशेष रूप से भेड़-बकरियों द्वारा दीर्घकाल तक चराई करना, अधिकांश पर्वतीय क्षेत्रों की गिरावट का मुख्य कारण है। इसके साथ ही भवनों, सड़कों, बाँधों, बड़े तथा मध्यम उद्योगों के अनियंत्रित निर्माण, खनन आदि के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यावरण सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं और बढ़ती ही जा रही हैं।

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