Hindi, asked by adityapatel44, 11 months ago

Parayavaran pradushan par nibhand in hindi

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Answered by Abhik05
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पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण। धीरे-धीरे विश्व की जनसंख्या बढती चली जा रही है जिसके कारण लोग घर बनाने के लिए वनों की कटाई ज़ोरों से कर रहे हैं। इन बीते 10-15 सालों में वनों की कटाई के कारण, पृथ्वी में कई प्रकार के खतरनाक गैसीय उत्सर्जन हुए हैं।

हम एक ऐसे सुन्दर ग्रह पृथ्वी में रहते हैं जो एक मात्र ऐसा ग्रह है जहाँ पर्यावरण और जीवन है। पर्यावरण को स्वच्छ रखने का एक ही सबसे बेहतरीन तरीके है पानी और वायु को स्वच्छ रखना। पर आज के दिन में मनुष्य इसके विपरीत सभी कार्य करने में लगा है जिसका सबसे बड़ा फल प्रदुषण हमारे आँखों के सामने है।

हमें इस बात को समझना होगा कि अगर हम पृथ्वी को बचाना चाहते हैं तो हमें कड़े कदम उठाने होगे जिससे कि हम अपने पर्यावरण दूषित होने से बचा सकें। बिना जल और वायु के पृथ्वी में जीवन का अंत हो जायेगा इसलिए इन चीजों का संतुलन बनाये रखना बहुत आवश्यक है।

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adi5999: It is so helpful
Abhik05: ohh really☺
Answered by CutyRuhi
7

प्रस्तावना

प्रदूषण का अर्थ कई तरह के हानिकारक और जहरीले तत्वों का प्राकृतिक संसाधनो में मिलने से है। यह इस ग्रह पर रहने वाले जीवों के सामान्य जीवन को प्रभावित करता है और प्राकृतिक जीवन चक्र को बिगाड़ देता है।

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण को कई प्रकारों में बांटा जा सकता है जैसे कि ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और जल प्रदूषण आदि। वाहनों की बढ़ती संख्या, जहरीलें गैसों के उत्सर्जन, कारखानों से निकलने वाले धुएं और तरल एयरोसोल आदि के कारण हमारे ग्रह पर वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इसी वायु प्रदूषण की कारण जिस हवां में हम सांस लेते है, उसके द्वारा हमें कई तरह की फेफड़ो की बीमारियां हो जाती है।

इसी तरह के भूमि और जल प्रदूषण पानी तथा भूमि में कई तरह के कीटाणु, जीवाणु और हानिकारक रसायन आदि मिलने के कारण उत्पन्न होता है। पीने के पानी में भी कई तरह के कीटनाशक, फंसग, जीवाश्म तत्व और थोरियम आदि मिलने के कारण जल प्रदूषण जैसी समस्या उत्पन्न होती है।

निष्कर्ष

प्रदूषण की समस्या को रोकने के लिए सरकार को कई तरह के उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। इसके लिए वाहनों के उपयोग को कम करने के साथ पानी की बचत करनी होगी तथा जैविक खेती को बढ़ावा देना होगा।

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