pari Katha in Hindi grade 1 competition
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परी कथा
सुदूर किसी ग्रह पर एक नन्ही परी रहती थी। उस नन्ही परी का पिता उस ग्रह का राजा था। वह बहुत बड़े महल में रहती थी। लेकिन वह बेहद अकेली थी। उसका कोई दोस्त नहीं था। इस कारण वह उदास रहती थी। उसके प्यारे से कोमल चेहरा मुरझाने लगा था। एक दिन वह अपने ग्रह से उड़ती घूमने को निकली और भटकते-भटकते धरती ग्रह पर आ गई। उसने देखा कि धरती पर ढेर सारे बच्चे हैं। जब वह एक पार्क में उड़ती हुई कुछ बच्चों के सामने उतरी तो बच्चे उसे देखकर खुश होकर चिल्लाने लगे। परी दीदी आई, परी दीदी आई, बोलने लगे।
बच्चे उसको घेर कर खड़े हो गए उस नन्ही सी प्यारी और सुंदर परी को देखकर बच्चे बहुत खुश हुए और खुशी से उछलने कूदने लगे। वो बोलने लगे कि भगवान ने हमें कितनी प्यारी सी परी भेजी है। परी भी उन बच्चों की खुशी देखकर उनकी खुशी में डूब गई। उसके चेहरे की सारी उदासी गायब हो गई। अब वह रोज धरती पर आती और उन बच्चों के साथ खेलती कूदती। इस तरह उसकी जीवन की उदासी खत्म हो गई और वह हमेशा खुश रहने लगी। वह बच्चों के लिए अपने ग्रह से ढेर सारे उपहार लेकर आती थी। जिससे बच्चे बहुत खुश हो जाते थे। उन बच्चों की खुशी देखकर परी की खुशी दुगनी हो जाती थी। अब उसे ढेर सारे दोस्त मिल गये थे, बच्चों को एक अच्छी साथी मिल गई थी। इस प्रकार सब कुछ सब लोग खुश रहने लगे। कहते हैं कि खुशियां बांटने से बढ़ती हैं, परी और बच्चों सबने अपनी खुशियां बांटी, जिससे उनकी खुशियां बढ़ती गईं।