History, asked by cutipiee681, 11 months ago

Pariksha Guru upanyas ki Vishay Vastu kya thi?
please answer me quickly

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Answered by samay82
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हिंदी उपन्यास की परंपरा इतनी तो गहरी और विभिन्न रंगो से भरपूर है की इस छोटे से लेख में इस विषय को न्याय देना असंभव ही है | मगर फिर भी, अगर हिंदी उपन्यास की बात करनी ही हैं, तो उसके लिए एक विशिष्ट पद्धति का विनियोग करना अनिवार्य होगा | मैं समझता हूँ की हिंदी उपन्यास के विकास की बात मील के पत्थर समान कुछ चुने हुए उपन्यास लेकर की जा सकती है | प्रस्तुत लेख में यही मेरी पद्धति और उपक्रम होंगे | इस लेख की संरचना कुछ इस प्रकार हैं - पहले मैं हिंदी में उपन्यास लिखने की जब शुरुआत हुई उस वक्त का ऐतिहासिक संदर्भ दूँगा, और उस संदर्भ के प्रकाश में मैं मील के पहले पत्थर समान श्रीनिवासदास लिखित उपन्यास परीक्षागुरु (१८४३) की बात करूँगा | उसके बाद चर्चा राष्ट्रवाद के समय का संदर्भ देगी, और उसके प्रकाश में हिंदी कथा-साहित्य में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान देनेवाले प्रेमचंद के उपन्यास गोदान (१९३६) की बात की जायेगी | प्रेमचंद के बाद आनेवाली पीढ़ी में सच्चिदानंद हिरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का नाम प्रमुख हैं | ‘अज्ञेय’ का उपन्यास शेखर: एक जीवनी(१९४१-४४) हिंदी में लिखे गए सर्व-श्रेष्ठ उपन्यासों में से एक हैं | प्रेमचंद की परंपरा से हटकर शेखर: एक जीवनी  द्वारा हिंदी-उपन्यास में कौनसे बदलाव आए उसकी बात होगी | अंत में नयी कहानी के बारे में कुछ बात करके इस युग में कैसे उपन्यास का भी रूपान्तर हुआ उसकी चर्चा के साथ इस लेख का समापन किया जायेगा |
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