Pariksha ke vishay par ek lekh likhiye
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विद्यार्थी-जीवन में परीक्षाओं का सामना करना बिलकुल आम बात है। इसके बावजूद, किसी भी परीक्षा का कठिन दिन छात्रों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। परीक्षा के कठिन दिन का सामना करना बहुत डरावना होता है। हमलोग बहुत घबराए रहते हैं। हमने जो पढ़ा या याद किया उस हर चीज को बार-बार दोहराना चाहते हैं। हमलोग प्रश्न-पत्र के बारे में सोचते रहते हैं। उनका विश्वास रहता है कि यदि वे पहले दिन अच्छा करेंगे तो वे परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते है। इसलिए परीक्षा का कठिन दिन भयानक लगता है। कुछ छात्र परीक्षाओं के कठिन दिन के पहले की रात सो नहीं पाते। बोर्ड-परीक्षा का मेरा परीक्षा का कठिन दिन भी ऐसा ही था।
परीक्षा का भूत | परीक्षा का डर-
परीक्षा के दिन परीक्षार्थी के लिए बड़े कठिन होते हैं । इन दिनों परीक्षार्थी अपनी समस्त शक्ति अध्ययन की ओर केन्द्रित कर एकाग्रचित होकर सम्भावित प्रश्नों को कंठस्थ करने के लिए लगा देता है। ये दिन उसके लिए परीक्षा देवो को प्रसन्न करने के लिए अनुष्ठान करने के दिन हैं, गृहकार्यों से मुक्ति, खेल-तमाशों से छुट्टी और मित्रों- साथियों से दूर रहने के दिन हैं।
परीक्षा परीक्षार्थी के लिए भूत है। भूत जिस पर सवार हो जाता है उसकी रातों की नींद हराम हो जाती है, दिन की भूख गायब हो जाती है और घर में सगे-सम्बन्धियों का आना बुरा लगता है। दूरदर्शन के मनोरंजक कार्यक्रम, मनपसन्द एपीसोड, चित्रहार आदि समय नष्ट करने के माध्यम लगते हैं।
परीक्षा के इन कठिन दिनों में परीक्षा-ज्वर (बुखार) चढ़ा होता है, जिसका तापमान परीक्षा-भवन में प्रवेश करने तक निरन्तर चढ़ता रहता है और प्रश्न-पत्र हल करके परीक्षा-भवन से बाहर आने पर ही सामान्य होता है। फिर अगले विषय की तैयारी का स्मरण होते है। ज्वरग्रस्त परीक्षार्थी निरन्तर विश्राम न कर पाने की पीड़ा से छटपटाता है। परीक्षाज्वर से ग्रस्त परीक्षार्थी क्रोधी बन जाता है, चिन्ता देकर उसके स्वास्थ्य को चौपट कर देती है।