Pariksha ki janch essay in hindi
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शिक्षा का मकसद डर पैदा करना नहीं, बल्कि डर के चरित्र को समझ कर उससे कैसे जूझा जाए इसकी समझ देना है। लेकिन हमें शिक्षा की प्रकृति और इसकी अन्य सहगामी क्रियाओं को भी समझना होगा। शिक्षा जीवन जीने की बेहतर कला और समझ विकसित करने के लिए होती है। फिर यह सवाल ही क्यों उठा कि शिक्षा डरती है। कई बार बल्कि वर्तमान समय में शिक्षा बच्चों में भय का माहौल पैदा करती है।दरअसल शिक्षा की बुनियादी बुनावट की परतों को खोल लें तो यह दिक्कत नहीं आएगी। शिक्षा कोई व्यक्तिवाचक नहीं है कि वो किसी को भी डराए या भय सृजित करे। बल्कि शिक्षा निश्चित ही बेहतर जीवन के लिए मनुष्य को तैयार करने में योगदान देती है। वास्तव में डर शिक्षा नहीं बल्कि उसकी सहगामी परीक्षा की वजह से पैदा होता है। परीक्षा भी वह जो सिर्फ पठित, दस्तावेजित सूचनाओं और तथाकथित समझ एवं ज्ञान को पुनर्लेखन पर जोर देती है। परीक्षा की मूल प्रकृति छात्र की समझ, तर्कणा शक्ति, कल्पनाशीलता आदि की गहराई मापना नहीं है।
परीक्षा की जाँच
Explanation:
एक परीक्षा को किसी अन्य क्षेत्र में ज्ञान, जीवन कौशल, योग्यता, शारीरिक फिटनेस या क्षमता को मापने के लिए एक परीक्षण या मूल्यांकन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह आमतौर पर छात्रों के ज्ञान या सीखे गए पाठों का पता लगाने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रश्नों का एक समूह होता है। शिक्षा में एक परीक्षा एक छात्र के ज्ञान और क्षमता को दिखाने के लिए एक परीक्षा है। परीक्षा देने वाला छात्र उम्मीदवार होता है। जो व्यक्ति यह तय करता है कि छात्र ने कितना अच्छा प्रदर्शन किया है। एक परीक्षा एक लिखित परीक्षा, एक ऑन-स्क्रीन परीक्षण या एक व्यावहारिक परीक्षा हो सकती है।
एक परीक्षा निर्धारित विषयों में छात्रों द्वारा प्राप्त ज्ञान का आकलन करने के लिए होती है। एक परीक्षा छात्रों में सीखने और ईमानदारी से अपनी तैयारी के लिए एक उद्देश्य बनाती है। यह छात्रों के जीवन में प्रतिस्पर्धा, कड़ी मेहनत और समर्पण की भावना प्रदान करता है। वर्षों से शैक्षिक और परीक्षा प्रणाली बदलती रहती है। पाठ्यक्रम और शिक्षण के तरीके कभी स्थिर नहीं होते हैं।