pariksham ka mahatav story in hindi
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बात तब की है जब बीमारियाँ एक पहाड़ पर रहा करती थी| पहाड़ बिमारियों को अपनी बेटी की तरह पालता पोसता था| बीमारियाँ पहाड़ के इस उपकार के लिए पहाड़ का अहसान मानती और हमेशा पहाड़ के इस अहसान के लिए किसी भी उपकार के लिए इच्छुक रहती| लेकिन पहाड़ तो पहाड़ ठहरा, था ही इतना विशाल और अपनी जगह डटा हुआ की उसे कभी बिमारियों के किसी उपकार की ज़रूरत ही नहीं पड़ी|
पहाड़ की तलहटी में ही एक गाँव था| कुछ दिन बीते और गाँव के एक किसान को खेती के लिए अतिरिक्त ज़मीन कि ज़रूरत पड़ी| किसान को कहीं ज़मीन दिखाई नहीं दी| अचानक किसान की नज़र हजारों एकड़ जमीन दबाए हुए पहाड़ पर पड़ी| किसान ने सोचा क्यों ना पहाड़ को खोदकर खेती योग्य जमीन को निकाल दिया जाए| ]
बस फिर क्या था, किसान के सोचने भर की देर थी और उसने पहाड़ को खोदकर कई साडी जमीन निकाल ली| किसान को पहाड़ खोदता देख और दुसरे किसान भी जमीन के लिए पहाड़ को खोदने चले आए| देखते ही देखते किसानों की संख्या सेकड़ों तक पहुँच गई| किसान फावड़ा लेकर पहाड़ को खोदने में जुटे रहे|
Answer:
एक गाँव में गोपाल नाम का एक धनी किसान रहता था। गोपाल बहुत ही आलसी था। वह न तो अपने खेतों की देखभाल करता और न ही अपने गाय -भेसों की। वह अपने घर की भी देखभाल नही करता था। उसने सब काम अपने नौकरों के भरोसे पर छोड़ रक्खा था।
उसके इसी आलस और खेती व घर के कामों पर ध्यान न देने से उसकी घर की व्यवस्था बिगड़ गई थी। इससे उसे खेती में भी हानि होने लगी और गाय-भेसों से भी उसे कोई लाभ नही हो पा रहा था।
एक दिन गोपाल का पुराना मित्र रामलाल उससे मिलने के लिए उसके घर आया।जब रामलाल ने घर की हालत देखी तो वह बहुत दुखी हुआ। उसने समझ लिया कि गोपाल ने अपने आलसी स्वभाव को नहीं छोड़ा हैं। उसने गोपाल के आलसी व्यवहार को छुड़ाने की एक युक्ति सोची। उसने अपने मित्र से कहा,” मैं तुम्हारी गरीबी का कारण जानता हूँ और इसे दूर करने का एक सरल उपाय मेरे पास हैं “।
गोपाल ने उत्साहित होकर कहा,”वह उपाय मुझे बता दो में उसे अवश्य करूंगा“
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