Math, asked by nandana4813, 1 month ago

Parimey sankhyaon ka vibhajan Sanskrit Dharm ka Palan nahi karta udaharan ke sath samjhaie

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Answered by gpm18
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र्म/RELIGION

आर्यसमाज के नियम 10 golden principles of aryasamaj in hindi

BY VEDICPRESS · PUBLISHED JULY 4, 2017 · UPDATED NOVEMBER 28, 2017

संसार की उन्नति के लिए आर्यसमाज के नियम

आर्यसमाज के नियम:- 1. सब सत्यविद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदिमूल परमेश्वर है।

ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करनी योग्य है।

वेद सब सत्यविद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है।

सत्य के ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए।

सब काम धर्मानुसार अर्थात सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहिए।

संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है अर्थात शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना ।

सबसे प्रीतिपूर्वक धर्मानुसार यथायोग्य वर्तना चाहिए।

अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए।

प्रत्येक को अपनी ही उन्नति से संतुष्ट न रहना चाहिए किन्तु सबकी उन्नति में ही अपनी उन्नति समझनी चाहिए।

सब मनुष्यों को सामाजिक सर्वहितकारी नियम पालने में परतन्त्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतन्त्र रहें।

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