Parishram evam safalta ka sambandh par anuched so shabdo Mein likhiye
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हम बचपन से यही पढ़ते हुए आए हैं कि परिश्रम का फल मीठा होता है यह बात बिल्कुल सत्य है कि जो व्यक्ति परेशान करता है सारा दिन मेहनत करता है उसे उसके परिश्रम का फल अवश्य मिलता है
बिना मेहनत के आज तक कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो पाता है जो संघर्ष होता है उसी को ही सफलता प्राप्त होते हैं जिस तरह काफी तपने के बाद सोने को उसके चमक वापस मिलती है या चमकता है वह ठीक उसी तरह हर व्यक्ति को तड़पना पड़ता है संघर्ष करना पड़ता है तब जाकर वह सोने जैसा चमचम आता है
उदाहरण के तौर पर आप रोहन और मोहन दो भाइयों का उदाहरण ले सकते हैं रोहन और मोहन दोनों के भाग्य में लिखा कि यह दोनों बहुत ही होनहार बच्चे बनेंगे और जीवन में सफल भी मिलेगा इनको लेकिन रोहाना मोहन में एक कमी है थे कि रोहन बहुत मेहनती तार मोहन बहुत ही आलसी था
मोहन को लगता था कि उसके भाग्य में होना लिखा विद्वान होना या सफलता प्राप्त करने वाला व्यक्तित्व होना लिखा हुआ था वह मेहनत क्यों करें वह घर पर बैठकर सारा दिन आराम करता रहता था और रोहन हमेशा मेहनत करता था मन लगाकर पढ़ाई करता था उस तरह उसको जीवन में सफलता भी मिली लेकिन मोहन को यह बात बिल्कुल समझ में नहीं आया जीवन के अंत समय में उसको यह बात समझ में आई कि मैंने सारा जीवन सफलता में व्यक्त कर दिया जिस कारण आज मुझे सफलता नहीं मिली
इसलिए कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है अगर आप जीवन में सफल बनना चाहते हैं तो अपना नियम अपना गोल अपना लक्ष्य निर्धारित की जाए उसे लक्ष्य उसे नियम उसे गोल्ड को अपना सब कुछ मान कर अपना कमर कस कर मेहनत की वजह से आपको सफलता मिले
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हम बचपन से यही पढ़ते हुए आए हैं कि परिश्रम का फल मीठा होता है यह बात बिल्कुल सत्य है कि जो व्यक्ति परेशान करता है सारा दिन मेहनत करता है उसे उसके परिश्रम का फल अवश्य मिलता है
बिना मेहनत के आज तक कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो पाता है जो संघर्ष होता है उसी को ही सफलता प्राप्त होते हैं जिस तरह काफी तपने के बाद सोने को उसके चमक वापस मिलती है या चमकता है वह ठीक उसी तरह हर व्यक्ति को तड़पना पड़ता है संघर्ष करना पड़ता है तब जाकर वह सोने जैसा चमचम आता है
उदाहरण के तौर पर आप रोहन और मोहन दो भाइयों का उदाहरण ले सकते हैं रोहन और मोहन दोनों के भाग्य में लिखा कि यह दोनों बहुत ही होनहार बच्चे बनेंगे और जीवन में सफल भी मिलेगा इनको लेकिन रोहाना मोहन में एक कमी है थे कि रोहन बहुत मेहनती तार मोहन बहुत ही आलसी था
मोहन को लगता था कि उसके भाग्य में होना लिखा विद्वान होना या सफलता प्राप्त करने वाला व्यक्तित्व होना लिखा हुआ था वह मेहनत क्यों करें वह घर पर बैठकर सारा दिन आराम करता रहता था और रोहन हमेशा मेहनत करता था मन लगाकर पढ़ाई करता था उस तरह उसको जीवन में सफलता भी मिली लेकिन मोहन को यह बात बिल्कुल समझ में नहीं आया जीवन के अंत समय में उसको यह बात समझ में आई कि मैंने सारा जीवन सफलता में व्यक्त कर दिया जिस कारण आज मुझे सफलता नहीं मिली
इसलिए कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है अगर आप जीवन में सफल बनना चाहते हैं तो अपना नियम अपना गोल अपना लक्ष्य निर्धारित की जाए उसे लक्ष्य उसे नियम उसे गोल्ड को अपना सब कुछ मान कर अपना कमर कस कर मेहनत की वजह से आपको सफलता मिले