Parishram hi safalta ki kunji h debate
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r:Mark me as brainliest
जब हम अपने जीवन में आस पास किसी को सफल होता देखते है या किसी ऐसे सफल व्यक्ति के बारे में सुनते है जो की सफलता के नये आयाम स्थापित किये है ऐसे व्यक्ति को देखकर हमारे मन में कही न कही चलो अब हमे भी कुछ ऐसा करना है की हम भी सफल (Success) बनेगे बस फिर मन में एक ऐसी उर्जा (Energy) का संचार होता है की हम सभी एक दो दिन खूब उसी के बारे में सोचना शुरू (Positive Thinking) करते है और मन ही मन ढेर सारे प्लानिंग भी करना शुरू कर देते है
फिर आगे चलकर यह अहसास होता है या हमे लोगो द्वारा अहसास दिलाया जाता है की ये तो हम कर ही नही सकते है या ऐसा करना हमारे बस की बात ही नही है फिर यही से हमारे दो दिन मिली उर्जा का अस्तित्व खत्म होने लगता है और हम मानने लगते है की हम ये सब कर ही नही सकते है और फिर उसी ढर्रे में हम ढल जाते है जैसा की रोज की सामान्य जिन्दगी जीते है और खुद को आगे बढने वाले सपने युही शुरू होने से पहले ही अंत हो जाता है
लेकिन क्या आपने सोचा है की ऐसा क्यू होता है ??? हर कोई अपने फील्ड में सफल बनता जा रहा है लेकिन आप खुद को पिछड़ा हुआ मानते है ऐसा क्यू …हर कोई सोच परेशान रहता है आखिर इसे हम सब अपनी किस्मत (Luck) को दोष मानकर हालत के साथ समझौता कर लेते है और फिर कोई ऐसी कोई कोशिश नही करते जिसमे हमे आगे बढ़ने में तनिक भी रिस्क दिखाई देता है
किसी भी सफलता का शुरुआत कोशिश करने से ही होता है इसी बात पर एक बार चन्द्रगुप्त ने चाणक्य से पूछा “अगर किस्मत पहले लिखी जा चूकी है तो कोशिश करने से क्या मिलेगा”