Hindi, asked by ravi51023, 9 months ago

Paristhiki Tantra Mein Bagh ka mahatva per nibandh​

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Answered by divya14321
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Explanation:

पारिस्थितिक तंत्र का तात्पर्य उस अधिवासीय वातावरण से है जहाँ पर जैविक घटक और अजैविक घटक सतत् रूप से अंतराकर्षित होते हैं । इस अंतराकर्षण का मूल कारण है- जैविक समुदाय के बीच खाद्य ऊर्जा का प्रवाह । जर्मन प्राणिशास्त्री अनिस्ट हैकेल ने सर्वप्रथम ‘इकोलॉजी’ शब्द का प्रयोग किया ।

इन्हें पारिस्थितिक तंत्र के जनक के रूप में भी जाना जाता है । परिस्थितिक तंत्र की अवधारणा गत्यात्मक (Dynamic) है न कि स्थैतिक । यह एक खुला तंत्र है जिसमें प्राकृतिक कारणों से अथवा मानवीय हस्तक्षेप के कारण परिवर्तन आता रहता है ।जैव तथा अजैव घटकों की अन्तः किया द्वारा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होता है । जैव घटकों के अन्तर्गत उत्पादक, उपभोक्ता नथा अपघटकों को शामिल किया जाता है । उत्पादक वे होते हैं जो अपना भोजन स्वयं निर्मित करते हैं तथा स्वपोषित होते हैं । ये क्लोरीफिल से युक्त होते है ।

स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र में स्वपोषित शाक, झाड़ी तथा वृक्ष जबकि गहरे जलीय पारिस्थितिक तंत्र में फाइटोप्लैंकटन प्रमुख उत्पादक होते है । उपभोक्ताओं को शाकाहारी, मांसाहारी तथा सर्वाहारी में वर्गीकृत करते हैं । उपभोक्ता जो भोजन के लिए पौधों पर निर्भर रहता है, उसे प्राथमिक उपभोक्ता या न्दाभक्षी तथा जो अन्य प्राणियों पर निर्भर होता है उसे मांसाहारी कहते हैं जैसे- शेर व बाघ ।

सर्वाहारी उपभोक्ता प्राथमिक एवं द्वितीयक उपभोक्ताओं से भोजन ग्रहण करते हैं जैसे- मनुष्य । अपघटक परपोषी जीव होते है । इसमें बैक्टीरिया व कवक को सम्मिलित करते हैं । अजैव घटकों के अन्तर्गत मृत कार्बनिक पदार्थ (कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, वसा तथा ह्यूमस) तथा अकार्बनिक (नाइट्रोजन, जल एवं CO2) को सम्मिलित करते है ।

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