Hindi, asked by rishu225597, 11 months ago

Parivar ke sath bitaye Kisi Ek yadgar Din ka varnan kijiye vah lekhak koshalya ​

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Answered by pinky162
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Explanation:

हममें से अधिकांश ने अपने जीवन में कभी न कभी किसी मित्र या परिवार के सदस्य की उदारता का लाभ उठाया है जिसने किसी चुनौती या समस्या का सामना करते हुए संघर्ष करते समय हमारी बात सुनी थी। व्यावसायिक सन्दर्भ में, ऐसी सहायता और पथ प्रदर्शन को प्रशिक्षण (कोचिंग) या मार्गदर्शन (मेंटरिंग) कहा जाता है, और इस इकाई में आप इन दो तरीकों के बीच पहचान करना सीखेंगे। आप प्रशिक्षण और मार्गदर्शन से संबद्ध कुछ कौशल और तकनीकें, और शिक्षकों, छात्रों व उनके माता–पिता और/या अभिभावकों के साथ अपने वार्तालापों में उनका उपयोग करने के तरीके, समझेंगे।

बढ़ता हुआ अंतरराष्ट्रीय प्रमाण दर्शाता है कि प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के माध्यम से संगठन का प्रमुख अपने संगठनों और समुदायों के कार्य प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार कर सकते हैं (उदाहरण के लिए, बार्नेट और ओ मैहोनी, 2006)। भारत में, नेशनल प्रोग्राम डिजाइन एंड करिकुलम फ्रेमवर्क स्पष्ट करता है कि प्रशिक्षण और मार्गदर्शन किस प्रकार कक्षा शिक्षण को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। एक विद्यालय प्रमुख के रूप में आप (कैसे इन तकनीकों का उपयोग अपने विद्यालय में) ‘पढ़ाने और सीखने‘ में सुधार करने के लिए कर सकते हैं (नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन, 2014)।

ऐसी रणनीतियों को लागू करके, संगठन प्रमुख अपने संगठन की सफलता में योगदान करते हुये–निश्चित तौर पर हर उस व्यकित के कार्य प्रदर्शन को बेहतर बना सकते हैं, जिनको प्रशिक्षण या मार्गदर्शन दिया गया हो, प्रशिक्षण यह मार्गदर्शन किए जा रहे व्यक्ति के कार्यप्रदर्शन को सुधार सकते हैं। विद्यालय नेताओं का संसाधनों पर विरल रूप से ही नियंत्रण होता है, लेकिन उनमें विद्यालय की ऐसी संस्कृति की रचना करने की क्षमता होती है जो विद्यालय में हर व्यक्ति को महत्व देती है और संबंधों के महत्व पर जोर देती है तथा शिक्षकों को सहायता प्रदान करती है। आपके विद्यालय में प्रशिक्षण और मार्गदर्शन का अभ्यास और सहकर्मियों के साथ कौशलों का साझा किया जाना शिक्षकों और छात्रों के बीच समृद्ध संबंधों की स्थापना में योगदान करेगा, जिससे सीखने और कार्यसिद्धि की गुणवत्ता प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होगी।

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