parivartan jevan ka neyam,(speech)
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परिवर्तन प्रकृति का नियम है। जो परिवर्तन को और अनित्यता को समझता है, वस्तुत: वही ज्ञानी है। जीव, जगत और ब्रrा को सही तरीके से परिभाषित करने की क्षमता भी ज्ञानी-ध्यानी, ऋषि-मुनियों में ही होती है। ... मनुष्य को पीड़ा तभी होती है, जब उसके जीवन में परमात्मा नहीं होता है।
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