Pariyavan adhyan ke bahuaayogi sawarup se ap kiya samjhte hai
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एक पर्यावरण पेशेवर को विभिन्न प्रकार के मुद्दों से निपटना पड़ता है और अधिकांश समय प्रदूषण का स्रोत स्पष्ट नहीं होता है।
जैसे वायु प्रदूषक हवा में यात्रा करते हैं और एक निश्चित दूरी के बाद भूमि को दूषित करने के लिए डुबकी लगाते हैं।
इसलिए, बहु-विषयों का संक्षिप्त ज्ञान इस मुद्दे की पहचान करने और मनुष्यों और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए आवश्यक उपाय करने के लिए आवश्यक है।
पर्यावरणीय मनोविज्ञान मानव एवं उसके पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों के अध्ययन पर केन्द्रित एक बहुविषयी क्षेत्र है। यहाँ पर पर्यावरण (environment) शब्द की वृहद परिभाषा में प्राकृतिक पर्यावरण, सामाजिक पर्यावरण, निर्मित पर्यावरण, शैक्षिक पर्यावरण तथा सूचना-पर्यावरण सब समाहित हैं।
विगत वर्षों में पर्यावरण के विभिन्न पक्षों को लेकर व्यापक शोध कार्य हुए हैं और यह विषय क्रमशः एक समृद्धि अध्ययन क्षेत्र बनता जा रहा है इस विषय में अध्ययन में अनेक विषयों का योगदान रहा है। इसके अध्ययन क्षेत्र के अन्तर्गत वातावरण के प्रकार, उनके, प्रति मनुष्य की अभिवृत्ति, संस्कृति के प्रभाव, पर्यावरण की संरचना और अभिकल्प इत्यादि का विस्तृति विश्लेषण किया जा रहा है।
‘‘पर्यावरण’’ के साथ सरोकार मनोवैज्ञानिक अध्ययनों की एक विविशता है अन्यथा मनोवैज्ञानिक परिवर्त्य केवल आंतरिक मानसिक प्रक्रमों को ही संबोधित करते रहेंगे और इस तरह सदैव परोक्ष या आदृश्य ही बने रहेंगे। आन्तरिक प्रक्रियाओं पर से रहस्य का आवरण हटाने के लिए और वास्तविक जगत के साथ सार्थक संवाद स्थापित करने के लिए पर्यावरण को उद्दीपक के रूप में संदर्भ के रूप में या प्रत्यक्षीकरण के रूप में, अपने अध्ययन में शामिल करना आवश्यक हो जाता है।
आरंभ में पर्यावरण मनोविज्ञान को ज्यादातर भौतिक पर्यावरण पर केन्द्रित अध्ययन के रूप में लिया गया और बाद में उसके सामाजिक तथा सांस्कृतिक पक्षों को भी जोड़ा गया।