pariyavaran samrakshan hame kya yogdan de sakthe hain?
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पानी की बचत के तरीके अपनाते हुए जमीनी पानी का उपयोग भी केवल आवश्यकतानुसार ही करें। जहाँ तक सम्भव हो, वर्षा के जल को सहेजने के प्रबन्ध करें। प्लास्टिक की थैलियों को अलविदा कहते हुए कपड़े या जूट के थैलों का प्रयोग करें। बिजली बचाकर ऊर्जा संरक्षण में अपना अमूल्य योगदान दें।
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पर्यावरण हमें दुनिया कि सर्वाधिक सुख सुविधा उपलब्ध करवाती हैं और हमारा नैतिक कर्तव्य बनता हैं की हम पर्यावरण का संरक्षण करे.
पर्यावरण यानी पेड़ ,पौधे ,जल और वायु यह सब हमे धरती पर रहने के लिए सक्षम बनाती है और अगर हम ही इन मौलिक वस्तुओं का अनादर करे तो हम भूमि के निवासी होने के अधिकारी नही. पेड़ हमे सारी भोजन की वास्तु प्रदान करती हैं जैसे फल आदि अगर पेड़ हमारी संरक्षा नही करता तो हम इस धरती पर जीवन ही नहीं व्यतित कर पाते, पौधे जो हम अन्न प्रदान करती है अगर हम उसका अनादर करते हैं उसका मतलब की हम देवी अन्नपूर्णा का अनादर कर रहे हैं. जल जो हमारी प्यास बुझती, हमें स्वच्छ रख ती हैं, हमारे वस्त्रों को साफ रखती है उसका अनादर करना हमे शोभा नही देता तो हमे इन सब मौलिक वस्तु को हिसाब से इस्तमाल करना चाहिए और इसकी संरक्षा करनी चाहिएं।