park ke upar kahani Hindi mein
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Explanation:
यश बहुत ही शरारती लड़का था। जब कोरोना ने इधर सबकी जान निकाल दी थी तब वह रोज पार्क में खेलने चला जाया करता था । खेलता भी क्यों ना - अभी उसके दसवीं की परीक्षा खत्म हुई थी। बोर्ड के टेंशन ने उसकी जान निकाल दी थी । मम्मी के खूब मना करने पर भी नहीं सुनता था। अब पार्क में ज्यादा बच्चे तो होते नहीं थे तो वह अकेला ही खेला करता था। कभी शीशो की सवारी करता तो कभी रेत से खेला करता। एक दिन ऐसे ही टाइम पास करते करते उसकी नजर एक बूढ़े आदमी पर पड़ी। उसने उन्हें नजरअंदाज कर दिया और झूले पर झूलने लगा। जब उसका मन झूला झूल झूल कर ऊब गया तो उसने बूढ़े आदमी के पास जाने की सोची। जब जब उनके पास पहुंचा तो उसने देखा कि वे रो रहे थे और उनकी आंखें लगातार रोनेकी वजह से सूजी़ हुई थीं। उसने सोचा कि कहीं पास जाने पर वे उसे डांट ना दें । उनके उनके पास गया और धीरे से पूछा बाबा !क्या हुआ आप रो क्यों रहे हो?
बूढ़े आदमी ने बताया कि कि उसके विदेश में रह रहे पूरे परिवार की कोरोना वायरस की वजह से मौत हो गई और अब वह भी नहीं जीना चाहता । यश यश था तो शरारती पर था सच्चे दिल का । उसे बूढ़े आदमी पर दया आ गई। उनसे कहा, बाबा आप रोओ नहीं। आपको अपने घर ले चलता हूं। दरअसल उस बूढ़े आदमी को देख कर उसे अपने दादाजी की याद आ गई थी जिनका देहावसान 2 महीने पहले ही हुआ था। यस उन्हें अपने घर ले गया। जब उसके माता-पिता ने सारा हाल जाना तो उन्हें उन दादाजी पर दया आ गई। उन्होंने सोचा कि अभी नॉक डाउन तक उन्हें अपने घर ही रखते हैं। बाबा जी उनके घर रहने लगे ।
सभी यह सोच कर हंस रहे थे कि कहां यश की पार्क में जाने की गलती के कारण इस परिवार को एक नए बुजुर्ग का सहारा मिल गया।
sorry ki park pe jyaada focussed nahi lag rha hai .. par agar socho to - hai ..(✿ ♡‿♡).. shayad corona pe jyaada focussed lag rha hai.... SORRY...
MARK As BrAInLiEsT PLZZ...(◍•ᴗ•◍)❤