Hindi, asked by raina3, 1 year ago

paropkaar per kahani

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Answered by Mahira1
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राजन रोज समुद्र किनारे जाता और घंटों बैठकर लहरों को देखा करता. थोड़ी-थोड़ी देर में वह उठता, किनारे से कुछ उठाकर समुद्र में फेंक देता और वापस आकर बैठ जाता. वहाँ जो भी लोग आते, उसे पागल समझते और ऐसा करते देख उसकी हंसी उड़ाते. पर राजन इन सबकी परवाह नहीं करता. वह बस चुपचाप अपने काम में लगा रहता. 


एक दिन एक व्यक्ति वहाँ आया और उसने राजन की इस गतिविधि को देखा. पहले तो उसने भी राजन को पागल ही समझा. पर थोड़ी देर बाद ध्यान से देखने के बाद वह राजन के पास गया और पूछा, ‘ भाई! तुम यह क्या कर रहे हो? 


राजन ने कहा, ‘यह समुद्र अपनी लहरों को बार-बार इन शंखों, मछलियों और घोंघो को किनारे जमीन पर छोड़ आने को कहता है ताकि वे मर जाएँ, पर मैं ऐसा नहीं होने देता. इन्हें फिर से समुद्र में फेंक देता हूँ.’ 


व्यक्ति बोला, ‘पर यह तो समुद्र का क्रम है जो हमेशा चलता रहेगा. लहरे उठेंगी, गिरेंगी और ऐसे में कुछ जीव उनके साथ किनारें की जमीन पर आयेंगे और यहीं रह जायेंगे. तुम्हारी इस चिंता से क्या फर्क पड़ जाएगा?’ 


राजन ने तभी मुट्ठी भर मछलियों, शंख आदि को पानी में फेंका और पानी में मिलते ही उनमें मानों जान आ गयी.


तब उसने व्यक्ति से कहा, ‘आपने देखा इस छोटे से कदम से उनके जीवन में कितना बड़ा अंतर आया है.’ यह कहकर राजन फिर अपने काम में लग गया और वह व्यक्ति सर झुकाकर चला गया ~ अज्ञात 


शिक्षा : अच्छे कामों के लिए छोटे-छोटे प्रयास भी महत्वपूर्ण होते हैं. इसलिए रास्तें में आने वाली बाधाओं की चिंता नहीं करनी चाहिए. 

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